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Thursday 12 December 2019

अलाव

अलाव
अच्छा लगता है ना जाडे में अलाव सेकना,
खुले आसमान के नीचे बैठ सर्दियों से लडना,
हां कुछ देर गर्माहट का एहसास
तन मन को अच्छा ही लगता है,
पर उस अलाव का क्या
जो धधकता रहता हर मौसम ,
अंदर कहीं गहरे झुलसते रहते जज्बात,
बेबसी,बेकसी और भुखे पेट की भट्टी का अलाव ,
गर्मीयों में सूरज सा जलाता अलाव
धधक-धधक खदबदाता ,
बरसात में सिलन लिये धुंवा-धुंवा अलाव
बाहर बरसता सावन, अंदर सुलगता ,
पतझर में आशाओं के झरते पत्तों का अलाव
उडा ले जाता कहीं उजडती अमराइयों में ,
सर्दी में सुकून भरा गहरे तक छलता अलाव।

                 कुसुम कोठारी।

15 comments:

  1. झुलसते जज्बात को कहाँ ठण्ड लगती है ... ये सुलगते हैं हर मौसम में ...
    बहुत लाजवाब भाव ...

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    1. बहुत सा आभार आपकी सार्थक टिप्पणी सदा उत्साह वर्धक होती है ।

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    १६ दिसंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  3. मौसम अनुकूल अलाव का चित्रण ,सच यादों के जंगल में गीली लकड़ियों के सुलगते अलाव

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    1. बहुत बहुत आभार सखी ।
      उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से मन खुश हुआ।

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  4. अंदर कहीं गहरे झुलसते रहते जज्बात,
    बेबसी,बेकसी और भुखे पेट की भट्टी का अलाव , बेहतरीन रचना सखी 👌👌

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    1. सुंदर सार्थक प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली।

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  5. बिलकुल सत्य....

    पर उस अलाव का क्या
    जो धधकता रहता हर मौसम ,
    अंदर कहीं गहरे झुलसते रहते जज्बात,
    बेबसी,बेकसी और भुखे पेट की भट्टी का अलाव....

    बहुत ही मार्मिक सृजन ,सादर नमस्कार आपको

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    1. बहुत बहुत आभार कामिनी जी ,आपकी विश्लेषणात्मक प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली।
      सस्नेह

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  6. Replies
    1. बहुत बहुत आभार दी । बहुत अच्छा लगता है आपको ब्लाग पर देख कर ।

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  7. अन्दर झुलसते जज्बातों का अलाव तो सारी खुशियखुशियाँँ ही झुलसा देता है ...
    बहुत सुन्दर रचना।

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    1. बहुत आभार सुधा जी सक्रिय प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह मिला।
      सस्नेह।

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  8. बहुत सुखद है सर्दी का ये अलाव |

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