Friday, 10 June 2022

प्रथम वर्षा


 प्रथम वर्षा


कोकिले सुन तान तेरी

हो मुदित मन घूम नाचे

है भुवन आनंद छाया

बिन खरच के सूम नाचे।


सरसराती दामिनी है

द्यो नगाड़े बज रहे हैं

श्याम बादल नीर थामे

धैर्य अपना तज रहे हैं

झूमते हैं बाल बाला

साथ उनके टूम नाचे।।


आसमा से मोद उतरा

और पुलकित हैं सकल जग

लो प्रथम बारिश नवेली

आ गई होले धरे पग  

रागिनी वर्षा सुनाए

ये धरा फिर झूम नाचे।


पर्वतों की चोटियों को

स्नान मल-मल के कराती

पात मंजुल झूमते है

सज चले हैं ज्यों बराती

सनसनाती है हवाएँ

पादपों को चूम नाचे।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

22 comments:

  1. वाह मन मयूर थिरक उठा !!

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    1. ढेर सा आभार आपका।
      सस्नेह।

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  2. प्रथम वर्षा का बहुत सुंदर वर्णन, कुसुम दी।

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    1. हृदय से आभार आपका ज्योति बहन।
      सस्नेह।

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  3. पर्वतों की चोटियों को

    स्नान मल-मल के कराती

    पात मंजुल झूमते है

    सज चले हैं ज्यों बराती

    सनसनाती है हवाएँ

    पादपों को चूम नाचे।।

    वाह! कितना सुंदर रूपक सजाया है आपने! प्रथम वर्षा का मनोहारी वर्णन!

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    1. रचना पर विहंगम दृष्टि से प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
      सस्नेह

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  4. इस तपती, जलती, झुलसाती गर्मी में यह रचना और भी मनोहारी हो गयी है ! अब तो विवरण के साकार होने की प्रतीक्षा है

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    1. जी हृदय से आभार आपका।
      सार्थक प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ।
      सादर।

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  5. आसमा से मोद उतरा

    और पुलकित हैं सकल जग

    लो प्रथम बारिश नवेली

    आ गई होले धरे पग

    रागिनी वर्षा सुनाए

    ये धरा फिर झूम नाचे।
    वाह!!!
    प्रथमबारिश का बहुत ही मनोहारी शब्दचित्रण
    लाजवाब नवगीत।

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    1. सस्नेह आभार आपका सुधा जी।
      आपकी मोहक प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
      सस्नेह।

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  6. बहुत सुन्दर ....
    प्रकृति को अनोखे अंदाज़ से पिरोया है शब्दों में ... मोसम के आगमन का स्वागत करते भाव ...

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    1. हृदय से आभार आपका आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
      सादर।

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  7. मन का मयूरा
    निरखता घन
    झांझरी सा
    छम छम नाचे
    मनमोहक सृजन के सम्मान में समर्पित । अद्भुत और मनोहर सृजन ।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका मीना जी आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
      सस्नेह।

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  8. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(१३-०६-२०२२ ) को
    'एक लेखक की व्यथा ' (चर्चा अंक-४४६०)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. हृदय से आभार आपका चर्चा में रचना को शामिल करने के लिए।
      सादर सस्नेह।

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  9. बहुत बहुत सुन्दर

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    1. उत्साह वर्धन के लिए हृदय से आभार।
      सादर।

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  10. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज सोमवार(१३-०६-२०२२ ) को
    'एक लेखक की व्यथा ' (चर्चा अंक-४४६०)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  11. कुसुम जी, आपकी इस कविता को सुन कर, पढ़ कर, भी अभी इंद्र देवता पसीजे नहीं हैं. शायद राग मेघ-मल्हार में लय-बद्ध आपका कोई गीत इस प्यासी धरती पर प्रथम वर्षा करा दे .

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    1. हृदय से आभार आपका आदरणीय।
      समय के साथ सभी कार्य पूर्ण होते हैं ।
      यहां आ गई तो वहां भी पहुंचेगी जल्दी ही बरखा रानी।
      सादर।

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