Sunday, 15 May 2022

साहिल पर नाँव लिए बैठें हैं


 जो फूलों सी ज़िंदगी जीते काँटे हज़ार लिये बैठे हैं।

दिल में फ़रेब होंठों पर झूठी मुस्कान लिये बैठें हैं। 


ऊपर खुला आसमां ख्वाबों के महल आँखों में।

कुछ टूटते अरमानों का ताजमहल लिये बैठें हैं। 


सफेद दामन दिखते जिनके दिल दाग़दार हैं उनके।

एक भी तो ज़वाब नहीं सवाल बेशुमार लिये बैठें हैं। 


हंसते हुए चेहरों के पीछे छुपे दिल लहूलुहान से।

क्या लें दर्द किसी का अपने हज़ार लिये बैठें हैं। 


टुटी कश्ती वाले हौसलों की पतवार पर सवार।

डूबने से डरने वाले साहिल पर नाव लिये बैठें हैं।


              कुसुम  कोठारी 'प्रज्ञा'

31 comments:

  1. "क्या लें दर्द किसी का अपने हज़ार लिये बैठें हैं।" बहुत सुंदर!

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    1. जी हृदय से आभार आपका।
      उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया।

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    1. हृदय से आभार आपका आदरणीय दी।
      रचना को स्नेह मिला आपका।
      सादर।

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  3. वाह !
    यथार्थ का सटीक चित्रण।
    बेहतरीन गजल ।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
      सस्नेह।

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  4. एक एक शेर यथार्थ को बयान करता हुआ।

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    1. जी हृदय से आभार आपका उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।

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  5. बहुत बहुत सुन्दर

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आलोक जी।
      उत्साह वर्धन हुआ।
      सादर।

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    1. जी हृदय से आभार आपका।
      सादर सस्नेह।

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  7. सबकी एक ही रामकहानी कह दी आपने तो कुसुम जी..वाह हंसते हुए चेहरों के पीछे छुपे दिल लहूलुहान से।

    क्या लें दर्द किसी का अपने हज़ार लिये बैठें हैं। ..वाह वाह

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    1. हृदय तल से आभार आपका अलकनंदा जी,आपकी व्याख्यात्मक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
      सादर सस्नेह।

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  8. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज मंगलवार (17-5-22) को "देश के रखवाले" (चर्चा अंक 4433) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा

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    1. जी हृदय से आभार आपका कामिनी जी, चर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए।
      चर्चा पर उपस्थित हो आई हूँ।
      सादर सस्नेह।

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  9. वाह!भावपूर्ण

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    1. जी हृदय से आभार आपका आदरणीय।
      सादर।

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  10. वाह बहुत ही सुंदर भावपूर्ण रचना

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    1. जी हृदय से आभार आपका आदरणीय।
      सादर।

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  11. वाह!बहुत सुंदर सराहनीय सृजन।
    क्या लें दर्द किसी का अपने हज़ार लिये बैठें हैं.. वाह!

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    1. हृदय से आभार आपका अनिता जी।
      आपकी सुंदर प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
      सस्नेह।

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  12. बेहतरीन रचना।

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका मनोज जी।
      उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए।
      सादर।

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  13. टूटी कश्ती वाले हौसलों की पतवार पर सवार।
    डूबने से डरने वाले साहिल पर नाव लिये बैठें हैं।
    वाह !! बहुत ख़ूब !! बेहतरीन ग़ज़ल कुसुम जी !

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    1. बहुत बहुत आभार आपका मीना जी आपकी पोस्ट पर उपस्थिति लेखन में नव ऊर्जा का संचार करती है ।
      सस्नेह।

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  14. सफेद दामन दिखते जिनके दिल दाग़दार हैं उनके।
    एक भी तो ज़वाब नहीं सवाल बेशुमार लिये बैठें हैं।
    हंसते हुए चेहरों के पीछे छुपे दिल लहूलुहान से।
    क्या लें दर्द किसी का अपने हज़ार लिये बैठें हैं। //
    मन को छू गई ये भावपूर्ण प्रस्तुति प्रिय कुसुम बहन।हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं 🙏🌺🌺♥️♥️

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    1. वाह! रेणु बहन आपका मुख्य भावों पर अतीव स्नेह रचना को ऊर्जावान कर गया।
      सस्नेह आभार आपका।

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  15. वाह! क्या बात है। बहुत ही बढ़िया।

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    1. आपकी प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई अमृता जी।
      सस्नेह आभार।

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  16. सुंदर सराहनीय सृजन... 👍👍

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