Saturday, 16 October 2021

कह मुकरी छंद


 कह मुकरी

1)शीश चढ़ा कर उसको रखती

बड़े प्यार से उस सँग रहती

खरा कभी लगता वो खोटा

क्या सखि साजन? ना सखि गोटा।।


2)पेट दिखाता इतना मोटा

पर समझो मत मन का खोटा

नहीं कभी वो करता सौदा

क्या सखि साजन?ना सखि हौदा।।


3)दोनों बीच सदा ही पटपट

सभी बात पर होती खटपट

इसी बात से होता घाटा

सखि साजन?ना बेलन पाटा।।


4) ग्रास तोड़ कर मुझे खिलाता

पानी शरबत दूध पिलाता

करता काम सभी वो सर-सर

क्या सखी साजन? ना सखी कर।।


5)हाथ पाँव फैला कर सोता

चूक गया तो बाजी खोता

जीत सदा उसकी वो नौसर

क्या सखि साजन? ना सखि चौसर।।

नौसर =चतुर या चतुराई


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

11 comments:

  1. शानदार, बहुत बढ़ियाँ।😀
    गजब की कहमुकरियाँ ।।😀

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    1. सस्नेह आभार जिज्ञासा जी।

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  2. बहुत बहुत सुन्दर

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  3. वाह!दी गज़ब का सृजन👌

    शीश चढ़ा कर उसको रखती

    बड़े प्यार से उस सँग रहती

    खरा कभी लगता वो खोटा

    क्या सखि साजन? ना सखि गोटा.. वाह!👌
    सादर

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    1. आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई बहना ।
      सस्नेह आभार।

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  4. पेट दिखाता इतना मोटा

    पर समझो मत मन का खोटा

    नहीं कभी वो करता सौदा

    क्या सखि साजन?ना सखि हौदा।।😂
    वाह! मैम बहुत ही शानदार 😄
    मजा आ गया पढ़ कर😄😄

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    1. बहुत बहुत आभार आपका मनीषा जी,आपको मजा आया लेखन सार्थक हुआ ।
      सस्नेह।

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।

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  6. वाह!!!
    कमाल की कहमुकरियाँ...
    एक से बढ़कर एक।

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    1. ढेर सा स्नेह आभार सुधा जी, आपकी प्रतिक्रिया से लेखन सदा नये आयाम पाता है ।
      सस्नेह।

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