Monday, 18 October 2021

कह मुकरी ...... सहेलियों की पहेलियां ..... कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'


                
        

                     शीश चढ़ा कर उसको रखती
                     बड़े प्यार से उस सँग रहती
                    खरा कभी लगता वो खोटा
              क्या सखि साजन? ना सखि गोटा।।
                       कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
 
                                   👩‍❤️‍👩

                         पेट दिखाता इतना मोटा
                     पर समझो मत मन का खोटा
                      नही कभी वो करता सौदा
                  क्या सखि साजन?ना सखि हौदा।।
                         कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

                                    👩‍❤️‍👩


                       दोनों बीच सदा ही पटपट
                       सभी बात पर होती खटपट
                         इसी बात से होता घाटा
                      सखि साजन?ना बेलन पाटा।।
                            कुसुम कोठारी ' प्रज्ञा '

                                   👩‍❤️‍👩

                    ग्रास तोड़ कर मुझे खिलाता
                      पानी शरबत दूध पिलाता
                    करता काम सभी वो सर-सर
                क्या सखी साजन? ना सखी कर।।
                        कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

                                   👩‍❤️‍👩

                      हाथ पाँव फैला कर सोता
                       चूक गया तो बाजी खोता
                     जीत सदा उसकी वो नौसर
             क्या सखि साजन? ना सखि चौसर।।
                    ( नौसर =चतुर या चतुराई )
                         कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
                        
                                  👩‍❤️‍💋‍👩👩‍❤️‍👨👩‍❤️‍💋‍👩








25 comments:

  1. वाह!बहुत बहुत ही बढ़िया 👌
    आपका जवाब नहीं दी।
    सादर प्रणाम

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    1. ढेर सा आभार प्रिय अनिता आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से लेखन को नई उर्जा मिली।
      सस्नेह।

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  2. बहुत सुंदर भाव भरी ।
    आपकी हर कहमुकारी ।।
    😀😀😀😀😀😀😀

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    1. ढ़ेर सारा आभार जिज्ञासा जी, आपकी शरारती मुस्कान ही रचना का प्रतिदान है ।
      सस्नेह।

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  3. बहुत सुंदर 👌

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    1. बहुत बहुत सा आभार सखी।
      ब्लॉग पर सदा स्वागत है आपका।
      सस्नेह।

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  4. विनोदपूर्ण कहमुकरियां !

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    1. सादर आभार आपका, आगे के लिए तैयार रहिएगा सौ लिख रही हूँ। आप सब की विवेचना और विशेष समालोचना चाहिए ।
      सादर।

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  5. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (20-10-2021) को चर्चा मंच        "शरदपूर्णिमा पर्व"     (चर्चा अंक-4223)        पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    --
    शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
      मैं मंच पर उपस्थित रहूंगी।
      चर्चा में शामिल होना सदा सुखद अनुभव है।

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  6. Replies
    1. जी सादर आभार आपका आदरणीय।
      उत्साहवर्धन हुआ।
      सादर।

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  7. वाह!कुसुम जी ,बहुत सुंदर ।

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    1. बहुत बहुत सा आभार शुभा जी आपकी प्रतिक्रिया से मन खुश हुआ।
      सस्नेह।

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  8. बहुत सुन्दर सृजन

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    1. बहुत बहुत सा आभार आपका मनोज जी।
      सादर।

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  9. कह मुकरी .....साहिलियों में पहेलियों खूबसूरत याद दिलादी आमिर खुसरो साहब की बेहतरीन अंदाज़ है आपके ब्लॉग के। साझा करने के लिए आभार।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका ,जी यह अमीर खुसरो साहब की लुप्त प्रायः विधा है।इसपर लिखना एक चुनौती रहा।
      शतक पूरा होने को है, फिर आप सभी का आशीर्वाद चहिएगा।
      सादर।

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  10. वाह सखि बहुत सुंदर

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    1. सखी ढेर सा आभार अभी तो पांच ही है सखी शतक को अग्रसर है लेखनी।
      सस्नेह।

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  11. Replies
    1. जी सर बहुत आभार आपका, उत्साह वर्धन हुआ।
      सादर।

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  12. कुछ विधाएं हमारी धरोहर हैं, उन्हें बचाना, संवारना बहुत जरुरी है ! साधुवाद

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    1. जी गगन जी ये लुप्त होती विधाओं सचमुच हमारी धरोहर है।
      और हमारे गुरुदेव श्री संजय कौशिक 'विज्ञात' जी सदा इसी तरह के प्रयासों में लगे रहते हैं मंच से जुड़े साथियों की प्रेरणा बन, सदा साहित्य की इस धरोहर को संवारने और उन्नत करने में लगे हैं,इसी प्रयास में हम लोगों ने छंदों के अलग अलग विधाओं पर आठ नौ शतक पूरे कर लिए ।
      आगे भी यह यात्रा निर्बाध चलती रहेगी उनकी प्रतिबद्धता से ।
      साथ ही आप सब जैसा पाठक वर्ग हमें मिलता है तो उर्जा और उत्साह दोनों बढ़ते हैं।
      सादर।

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  13. बहुत बहुत आभार आपका।
    मैं अवश्य ब्लॉग पर आऊंगी
    सादर।

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