Saturday, 18 September 2021

नीरव मुखरित


 

नीरव मुखरित


खिलते उपवन पात

महक मकरंदी बहजाती।

फूलों की रस गंध

सखे अलि को लिखती पाती।


शोभा कैसी आज 

धरा ओढ़े चुनरी धानी

मधुमासी है वात

जलाशय कंचन सा पानी

मोहक रूपा काल

बहे नदिया भी बलखाती।।


चंचल मन के भाव

झनक स्वर में बोले पायल 

सुन श्यामा की राग

पपीहा होता है घायल 

मधुरिम  झीना हाथ

हवा धीरे से सहलाती।।


छेड़े मन के राग

सुरों की मुरली बहकी सी

नीरव तोड़े मौन

पुहुप की डाली महकी सी।

घर के पीछे बड़बेर

सुना बेरों से बतियाती।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

17 comments:

  1. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।

      Delete
  2. सुंदर हृदयस्पर्शी भाव

    ReplyDelete
    Replies
    1. उत्साहवर्धन के लिए हृदय से आभार।
      सस्नेह।

      Delete
  3. अति मनमोहक सृजन दी।
    ऋतुओं के सारे भाव और रंग आपकी रचनाओं में जीवंत होकर खिलखिलाते हैं।

    प्रणाम दी
    सादर।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सस्नेह आभार बहना, आपकी जीवंत प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
      सस्नेह।

      Delete
  4. Replies
    1. जी बहुत बहुत आभार आपका।

      Delete
  5. एक एक शब्द मन में उतर गया सुंदर प्राकृतिक चित्रण किया है आपने ।बहुत शुभकामनाएं आपको ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सस्नेह आभार आपका जिज्ञासा जी, आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
      सस्नेह।

      Delete
  6. बहुत सुंदर कुसुम जी, ऐसा लगा क‍ि मैं द‍िनकर जी और सुम‍ित्रानंदन पंत की पहाड़ों वाली कव‍िता का सम्‍म‍िश्रण पढ़ रही हूं। वाह क्‍या बात ल‍िखी है क‍ि----शोभा कैसी आज

    धरा ओढ़े चुनरी धानी

    मधुमासी है वात

    जलाशय कंचन सा पानी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. ओह! अलकनंदाजी आपने तो मुझे कहां बिठा दिया !
      निशब्द हूं मैं।
      बहुत बहुत आभार आपका आपका स्नेह सदा मिलता रहे।
      सस्नेह आभार आपका।

      Delete
  7. वाह!!!
    बहुत हु मनमोहक सृजन
    मधुमासी महक गयी मन में...
    बहुत ही लाजवाब।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार सुधा जी,आपके सुंदर बोलो से मधुमासी यहां भी महक उठी ।
      सस्नेह।

      Delete
  8. बहुत सुंदर रचना,कुसुम दी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी बहुत बहुत आभार आपका ज्योति बहन।
      सस्नेह।

      Delete
  9. जी बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।

    ReplyDelete