Thursday, 7 January 2021

मेरी भावना


 चार क्षणिकाएं ~ मेरी भावना 


भोर की लाली लाई 

आदित्य आगमन की बधाई ।


रवि लाया एक नई किरण 

संजोये जो सपने हो पूरण

पा जायें सच में नवजीवन 


उत्साह की सुनहरी धूप का उजास 

भर दे सबके जीवन मे उल्लास ।




साँझ ढले श्यामल चादर 

जब लगे ओढ़ने विश्व!


नन्हें नन्हें दीप जला कर

प्रकाश बिखेरो चहुँ ओर

दे आलोक हरे हर तिमिर


त्याग अज्ञान मलीन आवरण

पहन ज्ञान का पावन परिधान ।




मानवता भाव रख अचल

मन में रह सचेत प्रतिपल


सह अस्तित्व समन्वय समता 

क्षमा सजगता और परहितता

हो रोम रोम में संचालन 


हर प्राणी पाये सुख आनंद

बोद्धित्व का हो घनानंद।




लोभ मोह जैसे अरि को हरा 

दे जीवन को समतल धरा


बाह्य दीप मालाओं के संग 

प्रदीप्त हो दीप मन अंतरंग

जीवन में जगमग ज्योत जले


धर्म ध्वजा सुरभित अंतर मन

जीव दया का पहन के वसन


          कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

18 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 08 जनवरी 2021 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय, मुखरित मौन पर रचना को शामिल करने के लिए।
      मैं उपस्थित रहूंगी।
      सादर।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका।
      सादर।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
      सादर।

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    1. बहुत बहुत आभार ज्योति बहन।
      सस्नेह।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
      सादर।

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  6. सुंदर संदेश पूर्ण एवं जीवन से ओतप्रोत क्षणिकाएं..

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    1. बहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए।

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  7. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (10-01-2021) को   ♦बगिया भरी बबूलों से♦   (चर्चा अंक-3942)   पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --
    हार्दिक मंगल कामनाओं के साथ-    
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
      चर्चा मंच पर उपस्थित रहूंगी।
      सादर।

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  8. बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'जी 🌹🙏🌹

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    1. बहुत बहुत सा स्नेह आभार आपका।
      सस्नेह।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका ।
      सादर।

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