Friday, 7 August 2020

सीप की व्यथा

 सीप की व्यथा


हृदय में लिये बैठी थी

एक आस का मोती,

सींचा अपने वजूद से,

दिन रात हिफाजत की

सागर की गहराईयों में,

जहाँ की नजरों से दूर,

हल्के-हल्के लहरों के

हिण्डोले में झूलाती,

साँसो की लय पर

मधुरम लोरी सुनाती

पोषती रही सीप

अपने हृदी को प्यार से

मोती धीरे-धीरे

शैशव से निकल

किशोर होता गया,

सीप से अमृत पान

करता रहा तृप्त भाव से

अब यौवन मुखरित था

सौन्दर्य चरम पर था

आभा ऐसी की जैसे

दूध में चंदन दिया घोल

एक दिन सीप

एक खोजी के हाथ में

कुनमुना रही थी

अपने और अपने अंदर के

अपूर्व को बचाने

पर हार गई उसे

छेदन भेदन की पीडा मिली

साथ छूटा प्रिय हृदी का 

मोती खुश था बहुत खुश

जैसे कैद से आजाद

जाने किस उच्चतम

शीर्ष की शोभा बनेगा

उस के रूप पर

लोग होंगे मोहित

प्रशंसा मिलेगी

हर देखने वाले से 

उधर सीपी बिखरी पड़ी थी

दो टुकड़ों में

कराहती रेत पर असंज्ञ सी

अपना सब लुटा कर

व्यथा और भी बढ़ गई

जब जाते-जाते

मोती ने एक बार भी

उसको देखा तक नही,

बस अपने अभिमान में

फूला चला गया

सीप रो भी नही पाई

मोती के कारण जान गमाई

कभी इसी मोती के कारण

दूसरी सिपियों से

खुद को श्रेष्ठ मान लिया

हाय क्यों मैंने!! 

स्वाति का पान किया ।।


         कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

22 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (09-08-2020) को     "भाँति-भाँति के रंग"  (चर्चा अंक-3788)     पर भी होगी। 
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
    --

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
      सादर।

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  2. कभी इसी मोती के कारण
    दूसरी सिपियों से
    खुद को श्रेष्ठ मान लिया
    हाय क्यों मैंने!!
    स्वाति का पान किया

    बहुत खूब...,बेहतरीन सृजन कुसुम जी ,सादर नमन

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    1. बहुत बहुत सा स्नेह आभार कामिनी जी ,आपकी विशिष्ट टिप्पणी रचना को विशिष्ट बना देती है ।
      सस्नेह।

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  3. बहुत खूब,बेहतरीन अभिव्यक्ति,सादर नमन

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    1. सादर आभार आपका आदरणीय, उत्साह वर्धन हुआ।

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  4. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका विश्व मोहन जी, उत्साह वर्धन हुआ।

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  5. मोती की चमक के आगे सीप की व्यथा और उपेक्षा भाव का स्पर्श करती मानव मन में संवेदनशीलता जगाती अनुपम और हृदयस्पर्शी रचना . अत्यंत सुन्दर भावाभिव्यक्ति .

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    1. वाह मीना जी आपने रचना के अंतर निहित भावों पर स्पष्ट प्रकाश ड़ाल कर रचना को नया प्रवाह दिया।
      बहुत बहुत सा स्नेह आभार।

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  6. बहुत सुंदर

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    1. बहुत बहुत आभार आपका।

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  7. बहुत सुंदर

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  8. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 10 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत आभार आपका,पाँचलिको में शामिल होना सदा सुखद ।
      सादर।

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  9. दूसरों की व्यथा से आहत होने के लिए कोमल मन और दिव्य दृष्टि की आवश्यकता होती बहुत सुंदर !

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    1. बहुत बहुत आभार आपका गगन जी, बहुत सुंदर बात कही आपने, किसी की पीड़ा को महसूस करने के लिए एक कोमल मन बहुत जरूरी है।
      सादर आभार आपका।

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  10. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।

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  11. बहुत बहुत आभार सखी आपकी प्रतिक्रिया सदा उत्साहवर्धक होती है।
    सस्नेह।

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  12. मर्मस्पर्शी सृजन आदरणीय दी। सीप की ममता बिलख पड़ी वर्तमान माँ के हृदय का मार्मिक चित्रण।सराहना से परे रुपक...
    लाजवाब सृजन।

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