Monday, 24 August 2020

रात सदा रात होती है

 रात सदा रात होती है।


रोशनी होना ही तो दिन नही है

रात सदा रात होती है,

चाहे चंद्रमा अपने शबाब पर हो 

प्रकाश की अनुपस्थिति अँधेरा है,

पर प्रकाश होना भर ही रात का अंत नही होता ।

निशा का गमन सूरज के आगमन से होता है ।

कृत्रिम रोशनी या चाँद का प्रकाश 

अँधेरे दूर  करते हैं रात नही।


             कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

13 comments:

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    1. बहुत बहुत आभार आपका।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका।

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  3. रात मन के अन्दर न रहे तो भी दिन ही होता है ... रात प्रकाश का विश्राम भी होता अहि और अन्धकार का स्वराज भी ...
    अच्छी रचना ..

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    1. सुंदर व्याख्या सुंदर भावार्थ रचना को प्रवाह मिला ।
      सादर आभार आपका नासवा जी ।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका।

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  5. सुन्दर प्रस्तुति.

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    1. बहुत बहुत आभार आपका।

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  6. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय! चर्चा मंच पर उपस्थित रहूंगी।

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  7. जी बहुत बहुत आभार आपका।

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