Friday, 10 April 2020

मीत मिले

मीत मिले

लहरों की मधुरिम सी हलचल
सरस किनारा सागर का ।
छलक रहा मधुरस भी ऐसा
भरी रसवंति गागर का।।

समय बांटता मुक्ता अविरल
चुनने वाला है चुनता ।
रेशम डांड हृदय पंकज की
सुंदर सी अवली बुनता।
मीत मिले निलाम्बर अतल पर
हर्षित मन जलआगर का।।

नम सैकत पांवों के नीचे
थिरक थिरक तन मन घूमे।
एक ताल पर लहरें मटकी
एक ताल दो  दिल झूमे।
समय बीत का भान नही सुध
नभ डेरा कोजागर का ।।

नील सिंधु में रमती उर्मिल
मौसम भर भर मद प्याला।
वितान अम्बर पर खुशियों का
मद्यप  दर्पित सुर बाला।
जीवन इसी घड़ी पर ठहरा
निश्चय निशांत जागर का।।

कुसुम कोठारी "प्रज्ञा"

15 comments:


  1. समय बांटता मुक्ता अविरल
    चुनने वाला है चुनता ।
    रेशम डांड हृदय पंकज की
    सुंदर सी अवली बुनता।
    मीत मिले निलाम्बर अतल पर
    हर्षित मन जलआगर का।।
    ...हमेशा की तरह शालीन, जीवन्त व बेहतरीन लेखन। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया कुसुम जी।

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    1. आपकी शानदार प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई,और उत्साह वर्धन हुआ ।सादर।

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  2. आपसे शब्द संचयन और प्रयोग सीखना चाहिए। बहुत ही शानदार पंक्तियाँ कुसुम जी। साधुवाद

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    1. बहुत बहुत सा आभार आपका ।
      आपके उत्साहवर्धक शब्दों से लेखन मुखरित हुवा ।
      सादर।

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    1. बहुत सा आभार आपका आदरणीय।

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  4.  मैंने, कतिपय कारणों से, अपना फेसबुक एकांउट डिलीट कर दिया है। अतः अब मेरी रचनाओं की सूचना, सिर्फ मेरे ब्लॉग
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  5. बेहद खूबसूरत गीत 👌👌👌

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    1. बहुत बहुत आभार सखी आपकी प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह मिला।

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  6. समय बांटता मुक्ता अविरल
    चुनने वाला है चुनता ।
    रेशम डांड हृदय पंकज की
    सुंदर सी अवली बुनता।
    मन्त्रमुग्ध हूँ ...बहुत बहुत बधाई इतने सुन्दर सृजन के लिए ।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका मीना जी आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से सदा लेखन में नयी उर्जा का संचार होता है।
      सस्नेह।

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  7. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (13-04-2020) को 'नभ डेरा कोजागर का' (चर्चा अंक 3670) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव



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  8. नम सैकत पांवों के नीचे
    थिरक थिरक तन मन घूमे।
    एक ताल पर लहरें मटकी
    एक ताल दो दिल झूमे।
    समय बीत का भान नही सुध
    नभ डेरा कोजागर का ।।
    वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर मनभावन नवगीत
    बहुत बहुत बधाई कुसुम जी !

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