हृदयस्पर्शी प्रस्तुति
बहुत बहुत आभार आपका सखी
कुछ चीजों के रफ़ू भी नहीं होता...ये दुख और भी ज्यादा है।मन को छूने वाली रचना।मेरी नई पोस्ट पर स्वागत है👉👉 जागृत आँख
जी सादर आभार। सही कहा आपने कयी दफ़ा बिगड़ी बात रहीम जी का सटीक दोहा बन जाती है।रहीमन बिगड़े दूध को मरे न माखन होय। सादर।।
वाह बेहद खू5
बहुत बहुत आभार सखी।आपको ब्लाग पर देख मन हर्षित हुवा।सस्नेह।
वाह बेहद खूबसूरत
जी नमस्ते,आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (10 -11-2019) को "आज रामजी लौटे हैं घर" (चर्चा अंक- 3515) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित हैं….**********************रवीन्द्र सिंह यादव
जी सादर आभार। मैं जरूर प्रयासरत रहुंगी चर्चा मंच पर आने के लिए ।सादर।
बहुत सुन्दर
जी सादर आभार। यथा संभव उपस्थित होने का प्रयास रहता है ।सादर।
बहुत खूब ...कई अनजाने एहसास पिरोये हैं इस रचना में ... कई सच्चाईयां जिनमें खो जाता है इंसान ...
सीया एहतियात जो कोर-कोरक्यूं कच्चे धागे सा उधड़ गया।।जीवन के यथार्थ को मर्मस्पर्शी शब्दों में पिरोया है आपने..बेहतरीन सृजन ।
सीया एहतियात जो कोर-कोरक्यूं कच्चे धागे सा उधड़ गया।।वाह!!!बहुत ही सुन्दर... हृदयस्पर्शी सृजन।
हृदयस्पर्शी प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका सखी
Deleteकुछ चीजों के रफ़ू भी नहीं होता...ये दुख और भी ज्यादा है।
ReplyDeleteमन को छूने वाली रचना।
मेरी नई पोस्ट पर स्वागत है👉👉 जागृत आँख
जी सादर आभार।
Deleteसही कहा आपने कयी दफ़ा बिगड़ी बात रहीम जी का सटीक दोहा बन जाती है।
रहीमन बिगड़े दूध को मरे न माखन होय।
सादर।।
वाह बेहद खू5
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सखी।
Deleteआपको ब्लाग पर देख मन हर्षित हुवा।
सस्नेह।
वाह बेहद खूबसूरत
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (10 -11-2019) को "आज रामजी लौटे हैं घर" (चर्चा अंक- 3515) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं….
**********************
रवीन्द्र सिंह यादव
जी सादर आभार।
Deleteमैं जरूर प्रयासरत रहुंगी चर्चा मंच पर आने के लिए ।
सादर।
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteजी सादर आभार।
ReplyDeleteयथा संभव उपस्थित होने का प्रयास रहता है ।
सादर।
बहुत खूब ...
ReplyDeleteकई अनजाने एहसास पिरोये हैं इस रचना में ... कई सच्चाईयां जिनमें खो जाता है इंसान ...
सीया एहतियात जो कोर-कोर
ReplyDeleteक्यूं कच्चे धागे सा उधड़ गया।।
जीवन के यथार्थ को मर्मस्पर्शी शब्दों में पिरोया है आपने..बेहतरीन सृजन ।
सीया एहतियात जो कोर-कोर
ReplyDeleteक्यूं कच्चे धागे सा उधड़ गया।।
वाह!!!
बहुत ही सुन्दर... हृदयस्पर्शी सृजन।