Friday, 22 February 2019

धीर पड़त नही पल छिन

पादप पल्लव का आसन
कुसुमित सुमनों से सजाए

आस लगाए बैठी राधिका
मन का उपवन महकाए

अब तक ना आए बनमाली
मन का मयूर अकुलाए

धीर पड़त नही पल छिन
मन का कमल कुम्हलाए

कैसे कोई संदेशो भेजूं
मन पाखी बन उड जाए

ललित कलियाँ सजा दूं द्वारे
श्याम सुंदर जब पुर आए ।

            कुसुम कोठरी।

7 comments:

  1. बहुत ख़ूब सखी 👌बहुत ही प्यारी और मन मोहक रचना |
    सादर

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  2. वाह बहुत ही सुन्दर रचना

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  3. धीर पड़त नही पल छिन
    मन का कमल कुम्हलाए

    कैसे कोई संदेशो भेजूं
    मन पाखी बन उड जाए
    वाह बहुत ही बेहतरीन रचना सखी 👌🌹

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  4. आस लगाए बैठी राधिका
    मन का उपवन महकाए
    वाह!!!
    बहुत लाजवाब मनभावनी रचना......

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  5. ललित कलियाँ सजा दूं द्वारे
    श्याम सुंदर जब पुर आए ।
    बहुत सुंदर भाव .........

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  6. This comment has been removed by the author.

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  7. वाह कुसुम बहन -- राधा की प्रतीक्षा और विरहवेदना !!!!!!!! बहुत खूब सखी | ये लगन जो ना करवाए वो थोड़ा !!

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