Wednesday, 20 February 2019

असर अब गहरा होगा।


असर अब गहरा होगा

फक़त खारा पन न देख, अज़ाबे असीर होगा
मुसलसल  बह गया तो फिर बस समंदर होगा ।

दिन ढलते ही आंचल आसमां का सुर्खरू होगा
रात का सागर लहराया न जाने कब सवेरा होगा।

तारों ने बिसात उठा ली असर अब  गहरा होगा
चांद सो गया जाके, अंधेरों का अब पहरा होगा ।

छुपा है पर्दो में कितने,जाने क्या राज़ गहरा होगा
अब्र के छटते ही बेनकाब  चांद का चेहरा होगा ।

साये दिखने लगे  चिनारों पे, जाने अब क्या होगा
मुल्कों के तनाव से चनाब का पानी ठहरा होगा ।
                 
                    कुसुम कोठारी।

12 comments:


  1. छुपा है पर्दो में कितने,जाने क्या राज गहरा होगा
    अब्र के छटंते ही बेनकाब चांद का चेहरा होगा ।
    बेहतरीन प्रस्तुति सखी

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  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति

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  3. वाह !! बहुत ही सुन्दर सखी 👌👌
    लाज़बाब
    सादर

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  4. साये दिखने लगे चिनारों पे, जाने अब क्या होगा
    मुल्कों के तनाव से चनाब का पानी ठहरा होगा ...
    बहुत खूब ... इशारों में ही बहुत कुछ कह जाता है ये शेर ... इस तनाव को इन्तार्फा मिटाना संभव नहीं होता ... कमाल के शेर हैं ...

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  5. छुपा है पर्दो में कितने,जाने क्या राज़ गहरा होगा
    अब्र के छटते ही बेनकाब चांद का चेहरा होगा
    लाजवाब गजल....
    एक से बढ़कर एक शेर।

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  6. वाह !! बहुत ख़ूब सखी 👌👌👌

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  7. फक़त खारा पन न देख, अज़ाबे असीर होगा
    मुसलसल बह गया तो फिर बस समंदर होगा
    बेहतरीन लेखनी। जितनी भी तारीफ करूँ कम होगी। शुभकामनाएं आदरणीय कुसुम जी।

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  8. बहुत सुंदर प्रस्तूति,कुसुम दी।

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  9. साये दिखने लगे चिनारों पे, जाने अब क्या होगा
    मुल्कों के तनाव से चनाब का पानी ठहरा होगा ...
    बहुत खूब

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  10. वाह आदरणीया दीदी जी एक के बाद एक आपके ये शेर हाल फिलहाल की स्थिति में उत्पन्न भावों को साक्षात सामने लाकर रख रहे हैं
    पता नही क्या होगा पर जो भी वो उत्तम हो इसी आशा के साथ सादर नमन

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  11. साये दिखने लगे चिनारों पे, जाने अब क्या होगा
    मुल्कों के तनाव से चनाब का पानी ठहरा होगा ।
    बहुत खूब........, सच ,हालात बहुत दुःखदाई है

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  12. साये दिखने लगे चिनारों पे, जाने अब क्या होगा
    मुल्कों के तनाव से चनाब का पानी ठहरा होगा । बहुत ही खूब सखी | आज यही दारुण स्थिति से रूबरू है देश | सार्थक लेखन |

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