Wednesday, 12 December 2018

सिसकती मानवता

तीन क्षणिकाएँ
सिसकती मानवता

सिसकती मानवता
कराह रही है
हर ओर फैली धुंध कैसी है
बैठे हैं एक ज्वालामुखी पर
सब सहमें से डरे डरे
बस फटने की राह देख रहे
फिर सब समा जायेगा
एक धधकते लावे में ।

जिन डालियों पर
सजा करते थे झूले
कलरव था पंछियों का
वहाँ अब सन्नाटा है
झूल रहे हैं फंदे निर्लिप्त
कहलाते जो अन्न दाता
भूमि पुत्र भूमि को छोड़
शून्य के संग कर रहे समागम।

पद और कुर्सी का बोलबाला
नैतिकता का निकला दिवाला
अधोगमन की ना रही सीमा
नस्लीय असहिष्णुता में फेंक चिंगारी
सेकते स्वार्थ की रोटियाँ
देश की परवाह किसको
जैसे खुद रहेंगे अमर सदा
हे नराधमो मनुज हो या दनुज।

            कुसुम कोठारी

20 comments:

  1. प्रिय कुसुम जी !!वैसे तो आप की रचनाओं का जबाब नहीं, बहुत ही सुन्दर होती है |
    आज की क्षणिकाएँ "सिसकती मानवता "का जबाब नहीं, बहुत ही बेहतरीन 👌,
    रचना के लिय आप को ढ़ेर सारी शुभकामनायें ,आप के उज्जवल भविष्य की कामना, सस्नेह !!
    सादर

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  2. अपने मन के भावों को बस शब्द देती हूं सखी । आप प्रबुद्ध लोगों की सहमति मिलती है तो अच्छा लगता है
    आपने बहुत मान दिया सखी इस मुकाम पर अभी खुद को नही पाती,, आपके स्नेह अतिरेक का आभार नही बस बहुत बहुत स्नेह।

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १४ दिसंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. देर सबेर पर आऊंगी अवश्य।
      प्रिय श्वेता सस्नेह आभार ।

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  4. पद और कुर्सी का बोलबाला
    नैतिकता का निकला दिवाला बहुत ही बेहतरीन क्षणिकाएं सखी

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    1. सस्नेह आभार सखी आपकी प्रतिक्रिया सदा उत्साह बढाती है सखी।

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  5. पद और कुर्सी का बोलबाला
    नैतिकता का निकला दिवाला
    अधोगमन की ना रही सीमा
    नस्लीय असहिष्णुता में फेंक चिंगारी
    सेकते स्वार्थ की रोटियाँ
    देश की परवाह किसको
    जैसे खुद रहेंगे अमर सदा
    हे नराधमो मनुज हो या दनुज।
    बहुत ही लाजवाब क्षणिकाएं....
    वाह!!!

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    1. सुधा जी सदा यूंही उत्साह बढाती रहें ।
      बहुत सा आभार ।
      सस्नेह ।

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  6. बहुत सुन्दर और मर्मस्पर्शी क्षणिकाएं ..

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    1. जी आदरणीय सादर आभार ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति सम्मानिय है मेरे लिये।। सदा प्रोत्साहित करते रहियेगा।
      सादर।

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  7. सुंदर और भावपूर्ण क्षणिकाएं

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    1. ब्लॉग पर आपको देख हर्ष हुवा आदरणीय ।
      सादर आभार।
      सदा उत्साह वर्धन करते रहें
      सादर।

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  8. Replies
    1. बहुत बहुत आभार लोकेश जी।

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  9. शानदार क्षणिकाएँँ मीता

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    1. ढेर सा स्नेह आभार मीता।

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  10. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    २१ जनवरी २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. सस्नेह आभार श्वेता मै अभिभूत हूं ।

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  11. लाजवाब क्षणिकाएं..!!!कुसुम जी ।

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  12. किसानों की दयनीय दशा की वजह अनदेखी व मानवता विहीन सियासत है.
    उम्दा रचना.
    स्वागत है ठीक हो न जाएँ 

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