Tuesday, 11 December 2018

आत्म चेतना

आत्म चेतना

स्वाध्याय का दीप प्रज्वलित कर
अज्ञान अंधकार को दूर करूं

अन्तरचक्षु  उद्धाटित कर
निज स्वरूप दर्शन करूं

सूक्ष्म का अवलोकन कर
आत्मा की पहचान करूं

पढा हुवा सब आत्मसात कर
सदआचरण व्यवहार करूं

तभी सफल हो मानव तन
सकल सौम्य आचार करूं।

        कुसुम कोठारी।

17 comments:

  1. तभी सफल हो मानव तन
    सकल सौम्य आचार करूं। बहुत सुंदर रचना सखी

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    1. आपकी मनभावन प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई सखी स्नेह आभार ।

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  2. अत्यंत सुंदर ,आध्यत्मिक विचार को शब्दों में पिरोया है आप ने ,मैं तो इस लायक नहीं कि आप सब जैसे प्रतिभावानो के रचना पर दो शब्द कहुँ ,पर कहे बिना खुद को रोक भी नहीं पाई .सस्नेह

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    1. सर्व प्रथम तो ब्लॉग पर स्वागत है आपका स्नेही कामिनी जी।
      आपकी तत्वार्थ प्रतिक्रिया से रचना को गति प्रदान हुई, और लायक तो हमेशा पाठक ही होता है जो रचना कार को जीवित रखता है उस पर आपकी प्रतिक्रिया प्रबुद्धता के साथ मेरा उत्साह बढा रही है ।
      सदा स्नेह बनाये रखें।

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    1. बहुत बहुत आभार आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिये ।

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  4. बहुत सुंदर रचना, कुसुम दी।

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    1. बहुत सा स्नेह आभार ज्योति बहन ।

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  5. बहुत बहुत आभार भाई अमित जी आपकी सराहना से रचना मुखरित हुई ।

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  6. बहुत ही सुन्दर रचना सखी 👌
    सादर

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    1. सखी सस्नेह आभार आपकी प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिये सदा स्नेह बनाये रखें।

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  7. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/12/mitrmandali100.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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    1. सादर आभार।
      जी मै अवश्य उपस्थित रहूंगी ।

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  8. स्वाध्याय से आत्मावलोकन व आत्मसात करना
    सूक्ष्म का अवलोकन और आत्मा की पहचान...
    वाह!!!
    बहुत ही लाजवाब...

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    1. सुधा जी आपका ढेर सा आभार आप सदा उत्साह वर्धन करते हैं।
      सस्नेह।

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