Thursday, 22 March 2018

जिनके भाल रक्त तिलक

कुछ याद उन्हें भी करलें

23 मार्च, देश के लिए लड़ते हुए अपने प्राणों को हंसते-हंसते न्यौछावर करने वाले तीन वीर सपूतों का शहीद दिवस। यह दिवस न केवल देश के प्रति सम्मान और हिंदुस्तानी होने वा गौरव का अनुभव कराता है, बल्कि वीर सपूतों के बलिदान को भीगे मन से श्रृद्धांजलि देता है।


मातृभूमि की बलिवेदी पे शीश लिये, हाथ जोचलते थे
हाथों मे अंगारे ले के ज्वाला मे जो जलते थे
अग्नि ही पथ था जिनका अलख जगाये चलते थे
जंजीरों मे जकड़ी मां को आजाद कराना था
शिकार खोजते रहते थे जब सारी दुनिया सोती थी
जिनकी हर सुबहो भाल तिलक रक्त  से होती थी
आजादी का शंख नाद जो बिना शंख ही करते थे
जब तक मां का आंचल कांटो से मुक्त ना कर देगें
तब तक चैन नही लेंगे सौ सौ बार शीश कटा लेंगे
दनदन बंदूकों के आगे सीना ताने चलते थे
 जुनून  मां को आजाद कराने का लिये चलते थे
ना घर की चिंता ना मात पिता,भाई  बहन ना पत्नी की
कोई रिश्ता ना बांध सका जिनकी मौत प्रेयसी थी
ऐसे देशभक्तों पर हर एक देशवासी को है अभिमान
नमन करें उनको जो आजादी की नीव  का पत्थर बने
एक विशाल भवन के निर्माण हेतू हुवे बलिदान।
                    कुसुम कोठारी ।

6 comments:

  1. वाह्ह्ह...शब्द-शब्द.ओज से भरी.।शानदार अप्रतिम अभिव्यक्ति दी...👌👌👌👌
    वीर सपूतों को नमन।

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    1. स्नेह आभार श्वेता, हम ज्यादा कुछ नही नमन तो श्रृदा पूर्वक कर ही सकते हैं और काव्य के जरिए कुछ श्रृद्धानजली
      हुतात्माओं को नमन

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  2. बहुत ही सुन्दर... लाजवाब रचना
    वीर शहीदों को नमन...
    मौत जिनकी प्रेयसी थी...वाह!!!

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    1. स्नेह आभार सुधा जी ।

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  3. बहुत ही सुन्दर
    वीर शहीदों को नमन

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    1. स्नेह आभार नीतू जी ।

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