Friday, 9 September 2022

छन्न पकैया


 सार छंद आधारित बाल गीत।


छन्न पकैया


छन्न पकैया छन्न पकैया, 

आज सजी है धरणी।

आया मंजुल मास सुहाना, 

हरित सुधा रस भरणी।


नाचे गाये मोर पपीहा

पादप झूम रहे हैं

बागों में कलियाँ मुस्काई

भँवरे घुम रहे हैं

बीच सरि के ठुम ठुम डोले

काठ मँढ़ी इक तरणी।।


धोती बाँधे कौन खड़ा है

खेतों की मेड़ों पर

उल्टी हाँडी ऐनक पहने

पाग रखी बेड़ों पर

बुधिया काका घास खोदते

हाथ चलाते करणी।।


दादुर लम्बी कूद लगाते

और कभी छुप जाते

श्यामा गाती गीत सुहाने

झर-झर झरने गाते

चिड़िया चीं चीं फुदके गाये

कुतर-कुतर कर परणी।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

9 comments:

  1. धोती बाँधे कौन खड़ा है
    खेतों की मेड़ों पर
    उल्टी हाँडी ऐनक पहने
    पाग रखी बेड़ों पर
    बुधिया काका घास खोदते
    हाथ चलाते करणी।।/////
    बहुत सुन्दर प्रिय कुसुम बहन! बचपन में देखे खेतों का सजीव चित्रण प्रस्तुत किया है आपने।बच्चों के साथ बड़ों को भी भा जाने वाली सुन्दर रचना के लिए बधाई और आभार आपका 🙏🌷🌷

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    1. हृदय से आभार आपका रेणु बहन आपकी उपस्थिति सदा प्रसन्नता देने वाली होती है।
      आपकी विस्तृत उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई और लेखनी को नई ऊर्जा मिली।
      सस्नेह।

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  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (11-9-22} को "श्रद्धा में मत कीजिए, कोई वाद-विवाद"(चर्चा अंक 4549) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

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    1. हृदय से आभार आपका कामिनी जी मैं हमेशा की तरह मंच पर उपस्थित रहूंगी।
      सादर सस्नेह।

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  3. बहुत सुन्दर कुसुम जी !
    'छन्न पकैया' से अपने बचपन के दिन और फिर 'हम लोग' सीरियल के सूत्रधार अशोक कुमार याद आ गए.

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    1. हृदय से आभार आपका आदरणीय।
      सही कहा आपने जब मैंने लिखना शुरू किया इस को तो बस कहीं स्मृति में था ये छन्न पकैया अब याद दिलाया आपने ये तो हम लोग के अशोक कुमार थे।
      सादर।

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  4. आदरणीया कुसुम कोठारी जी, बहुत सुंदर रचना ❗️बाल गीत क़े अच्छी कड़ी. --ब्रजेन्द्र नाथ

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    1. हृदय से आभार आपका आदरणीय।
      आपकी टिप्पणी से लेखन सार्थक हुआ और लेखनी को नव उर्जा मिली।
      सादर।

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  5. जैसे शब्द भी उछल रहा हो। बहुत अच्छी रचना।

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