Sunday, 26 June 2022

मनोवृतियाँ


 गीतिका (हिंदी गजल) मापनी:-

1212 212 122 1212 212 122.


मनोवृत्तियाँ


धुआँ धुआँ सा गगन हुआ है बुझा बुझा सा प्रकाश दिखता।

न चाँद पूरा दिखे धरा से नहीं कहीं पर उजास दिखता।।


करें अहित के विरुद्ध बातें दिखा रहे हैं महान निज को।

रहस्य खुलने लगे उन्हीं के मलिन हुआ सा विभास दिखता।।


लिखे गए जो कठिन समय में वही लेख अब मिटा रहे हैं।

धरोहरों को उजाड़ने का हुआ कपट ये प्रयास दिखता।।


अलख जगा कर रखा जिन्होंने खरी-खरी की दहाड़ भरते।

दिखावटी ढब अभी खुले हैं छुपा छुपा सा खटास दिखता।।


करे धरे जो नहीं कभी कुछ हरा हरा बस दिखा रहे हैं ।

पड़ा परिश्रम अभी अभी तो उड़ा उड़ा सा निसास दिखता ।।


उन्हें न मुठ्ठी गगन मिला है झुका झुका सिर नयन उदासी। 

श्रमिक रहा है सदा प्रताड़ित थका थका फिर विकास दिखता।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

18 comments:

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    1. हृदय से आभार आपका आदरणीय।
      सादर।

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(२७-०६-२०२२ ) को
    'कितनी अजीब होती हैं यादें'(चर्चा अंक-४४७३ )
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. चर्चा मंच पर रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार आपका।
      सादर सस्नेह।

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  3. न जाने क्या क्या दिखता है ...... लाजवाब ग़ज़ल हुई है ।

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    1. आपकी सराहना से सृजन अपनी सार्थकता पा गया आदरणीय संगीता जी।
      हृदय से आभार आपका।
      सादर।

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  4. कुसुम जी, राम-राज्य में सब कुछ अच्छा ही हो रहा है. श्रमिक अगर प्रताड़ित भी है तो क्या हुआ, नया संसद भवन, नया प्रधानमंत्री निवास और महाराष्ट्र में कुर्सी को ले कर उठापटक क्या विकास का द्योतक नहीं है?

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    1. जी सर आपकी उलट बासी रचना के समानांतर नये अर्थ खोज लेती है ।
      सर रचना को आप बहुत ध्यान से पढ़ते हैं और तथ्यों में से नये तथ्य निकाल लेते हैं।
      आपकी त्वरित बुद्धि कौशल को सलाम।
      हृदय से आभार आपका आदरणीय।
      सादर।

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  5. सुंदर, सराहनीय गीतिका ।

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    1. हृदय से आभार आपका जिज्ञासा जी।
      आपकी सराहना से लेखन सार्थक हुआ।
      सस्नेह।

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  6. Replies
    1. हृदय से आभार आपका आदरणीय।

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    1. सस्नेह आभार आपका सुमन जी, आपकी प्रतिक्रिया से लेखन को नव उर्जा मिली।
      सस्नेह।

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  8. वाह!!!!
    बहुत ही सुन्दर...
    लाजवाब गजल।

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    1. सस्नेह आभार आपका सुधा जी आपकी उपस्थिति सदा लेखन में नव ऊर्जा भर्ती हैं और मुझे कुछ अच्छा करूं के लिए प्रोत्साहित करती है।
      सस्नेह।

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  9. वाह बेहतरीन 👌👌

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    1. सस्नेह आभार आपका सखी ।
      सस्नेह।

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