Friday, 11 February 2022

अष्टमी का चांद


 अष्टमी का आधा चाँद


शुक्ल पक्षा अष्टमी है

चाँद आधा सो रहा है

बादलों का श्वेत हाथी

नील नदिया खो रहा है।


तारकों के भूषणों से

रात ने आँचल सँवारा

रौम्य तारों की कढ़ाई

रूप दिखता है कँवारा

कौन बैठा ओढ़नी में

रत्न अनुपम पो रहा है।


रैन भीगी जा रही है

मोतियों की माल बिखरी

नीर बरसा ओस बनकर

पादपों की शाख निखरी

हाथ सुथराई सहेजे

पात अपने धो रहा है।।


झूलना बिन डोर डाला

उर्मियों को गोद लेकर

वात की है श्वास भीनी

दौड़ती है मोद लेकर

सिंधु अपने आँगने में

नेह भर-भर बो रहा है।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

35 comments:

  1. बहुत प्यारी रचना।
    आंनद से भर देने वाली।

    नई पोस्ट- CYCLAMEN COUM : ख़ूबसूरती की बला

    ReplyDelete
    Replies
    1. हृदय से आभार आपका।
      सादर।

      Delete
  2. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 13 फरवरी 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
    Replies
    1. हृदय से आभार आपका।
      मैं मंच पर उपस्थित रहूंगी। सादर।

      Delete
  3. Replies
    1. उत्साहवर्धन के लिए हृदय से आभार।
      सादर।

      Delete
  4. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (१३-०२ -२०२२ ) को
    'देखो! प्रेम मरा नहीं है'(चर्चा अंक-४३४०)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. हृदय से आभार आपका चर्चा में उपस्थित रहूंगी।
      सादर सस्नेह।

      Delete
  5. वाह! अति सुंदर सृजन😍💓

    ReplyDelete
    Replies
    1. मन को मुग्ध कर लिया!
      वाकई बहुत ही खूबसूरत चित्रण

      Delete
    2. हृदय से आभार प्रिय मनीषा ।
      उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए।

      Delete
  6. अष्टमी की चाँद!!!
    बहुत ही मनभावन एवं लाजवाब शब्दचित्रण
    वाह!!!
    तारकों के भूषणों से

    रात ने आँचल सँवारा

    रौम्य तारों की कढ़ाई

    रूप दिखता है कँवारा

    कौन बैठा ओढ़नी में

    रत्न अनुपम पो रहा है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हृदय से आभार आपका सुधा जी आपकी मोहक प्रतिक्रिया सदा मेरे लेखन को संबल देती है।
      सस्नेह।

      Delete
  7. वाह , रात का क्या खूब नज़ारा पेश किया है । बहुत सुंदर ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपको पसंद आई हृदय से आभार आपका।
      सादर सस्नेह।

      Delete
  8. रैन भीगी जा रही है
    मोतियों की माल बिखरी
    नीर बरसा ओस बनकर
    पादपों की शाख निखरी
    हाथ सुथराई सहेजे
    पात अपने धो रहा है।
    अत्यंत सुंदर । मन्त्रमुग्ध करती अनुपम कृति ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सुंदर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार आपका मीना जी सदा स्नेह बनाए रखें।
      सस्नेह।

      Delete
  9. अत्यन्त सुन्दर मनमोहक रचना।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हृदय से आभार आपका उर्मि दी।
      सादर।

      Delete
  10. आदरणीया, बहुत सुंदर रचना! सुंदर शब्दों से सुसज्जित, छंद बद्ध रचना!
    रैन भीगी जा रही है
    मोतियों की माल बिखरी
    नीर बरसा ओस बनकर
    पादपों की शाख निखरी
    हाथ सुथराई सहेजे
    पात अपने धो रहा है।। साधुवाद!--ब्रजेंद्रनाथ

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से मैं अभिभूत हूं आदरणीय।
      सादर आभार आपका।

      Delete
  11. बेहद सुंदर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
    Replies
    1. हृदय से आभार आपका भारती जी उत्साह वर्धन हुआ।
      सादर सस्नेह।

      Delete
  12. बहुत सुंदर रचना,

    ReplyDelete
    Replies
    1. हृदय से आभार आपका मधुलिका जी , ब्लाग पर सदा स्वागत है आपका।
      सादर सस्नेह।

      Delete
  13. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  14. अति मनमोहक सृजन दी।
    मौन प्रकृति की झंकार आपकी लेखनी से निसृत होती है।

    सप्रेम
    प्रणाम दी
    सादर।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सस्नेह आभार आपका प्रिय श्वेता,आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
      सस्नेह।

      Delete
  15. झूलना बिन डोर डाला

    उर्मियों को गोद लेकर

    वात की है श्वास भीनी

    दौड़ती है मोद लेकर

    सिंधु अपने आँगने में

    नेह भर-भर बो रहा है।

    बहुत सुंदर मनोहारी चित्रण ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हृदय से आभार आपका जिज्ञासा जी आपकी मोहक प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
      सस्नेह।

      Delete
  16. हृदय से आभार आपका संगीता जी आप की प्रस्तुति सदा अभिनव होती है , मैं उपस्थित रहूंगी।
    सादर सस्नेह।

    ReplyDelete
  17. हृदय से आभार आपका आलोक जी।
    सादर।

    ReplyDelete
  18. MEGA MEGA MEGA PRAGMATIC PLAY GENESIS 4D
    MEGA PRAGMATIC PLAY GENESIS 4D · 인천광역 출장마사지 1. 문경 출장안마 Sonic the Hedgehog · 2. 상주 출장안마 Streets of Rage II · 3. Monster World IV 제천 출장안마 · 4. Virtua Racing · 아산 출장마사지 5. The

    ReplyDelete