Thursday, 27 May 2021

कांची काया मन अथीरा


 काची काया मन अथिरा



काची काया मन भी अथिरा ,

हींड़ चढा हीड़े जग सारा ।

दिखे सिर्फ थावर ये माया,

थिर थिर डोले है जग सारा ।


रोक हींड़ोला मध्य झाँका ,

अंदर ज्यादा ही कंपन था ।

बाहर गति मंथर हो चाहे,

मानस अस्थिर भूड़ोलन था ।


 गुप्त छुपी विधना की मनसा,

जान न पाये ये जग सारा ।

काची काया मन भी अथिरा ,

हींड़ चढा हींड़े जग सारा ।।


जलावर्त  में मकर फसी है,

चक्रवात में नभचर पाखी

मानव दोनों बीच घिरा है ,

जब तक जल न भये वो लाखी।


कहाँ देश को गमन सभी का ,

जान न पाये ये जग सारा ।

काची काया मन भी अथिरा ,

हींड़ चढा हींड़े जग सारा ।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

13 comments:

  1. कहाँ देश को गमन सभी का ,

    जान न पाये ये जग सारा ।

    काची काया मन भी अथिरा ,

    हींड़ चढा हींड़े जग सारा ।।---भावों से परिपूर्ण पंक्तियां

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  2. गुप्त छुपी विधना की मनसा,

    जान न पाये ये जग सारा ।

    काची काया मन भी अथिरा ,

    हींड़ चढा हींड़े जग सारा ।। विधि का विधान सर्वथा गुह्यतम रहा है। अलौकिक भावों का वितान बुनती अद्भुत रचना।

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  3. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (29 -5-21) को "वो सुबह कभी तो आएगी..."(4080) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    --
    कामिनी सिन्हा

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  4. जलावर्त में मकर फसी है,

    चक्रवात में नभचर पाखी

    मानव दोनों बीच घिरा है ,

    जब तक जल न भये वो लाखी।..वाह अद्भुत,उत्कृष्ट शब्दो का सुन्दर सृजन,पढ़कर अचंभित हूं । सादर शुभकामनाएं ।

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  5. बहुत बहुत सुन्दर

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  6. जलावर्त में मकर फसी है,
    चक्रवात में नभचर पाखी
    मानव दोनों बीच घिरा है ,
    जब तक जल न भये वो लाखी।.
    वाह!!!!
    समसामयिक सत्य का अद्भुत शब्दचित्रण....
    कमाल की शब्दव्यंजना।
    बहुत ही लाजवाब सृजन।

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  7. गुप्त छुपी विधना की मनसा
    जान न पाये ये जग सारा
    काची काया मन भी अथिरा
    हींड़ चढा हींड़े जग सारा ।
    👌👌वाह! बहुत ही बेहतरीन 👌👌👌
    हमारे ब्लॉग पर भी आइएगा आपका स्वागत है🙏🙏

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  8. वाह ! सुंदर शब्दों का चयन और अनुपम शैली, जीवन के सत्य को उजागर करतीं पंक्तियाँ !

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  9. बहुत सुन्दर रचना !

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  10. बहुत खूब ,... अलग अंदाज़... अलग शैली में लिखा ...
    बहुत सुन्दर ....

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  11. अलग अंदाज में सखि

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  12. बहुत बहुत बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन दी।
    सादर

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