Saturday, 11 July 2020

प्रश्न को प्रश्न रहने दो

प्रश्न को प्रश्न रहने दो

प्रश्न को प्रश्न  रहने दो अभी
हल में से फिर प्रश्न निकलेगा
प्रश्न हल न कर पावोगे
फिर प्रश्न से प्रश्न निकलेगा।

जहाँ  कुछ कर ना पावो
वहाँ  चुप हो बैठना
प्रश्न  का उत्तर  न मिले
तो प्रश्न  दूर धकेलना।

प्रश्न करने वाला सदा
प्रश्न करके खुश होता
जवाब न दे पाये तो
सामने वाला हाथ मलता।

शंका हो तो अवश्य
प्रश्न का समाधान करना
वर्ना संशय बन
अंतर तक पैठता।

प्रश्न ये है कि प्रश्न
आया कहाँ से
और रहता कहाँ
और कब वीर गति पायेगा।

अब जिंदगी को देख लो
एक अनुत्तरित प्रश्न है
इतने जवाब है इसके
पर सभी में फिर एक प्रश्न है।

इसलिये कहते हैं भाई
इसे यहीं रहने दो अभी
चार जन पुछ चुके प्रश्न
आखिर क्या लिख रहे हो।

कुसुम कोठारी'प्रज्ञा'

13 comments:


  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (१२-०७-२०२०) को शब्द-सृजन-२९ 'प्रश्न '(चर्चा अंक ३७६०) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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    1. बहुत बहुत आभार आपका मैं मंच पर अवश्य उपस्थित रहूंगी
      सस्नेह।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।

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  3. सुन्दर रचना दीदी, शुभ प्रभात

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    1. बहुत बहुत आभार बहना, आपकी प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।

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  4. बिल्कुल सटीक ....
    प्रश्न से एक और प्रश्न
    प्रश्न करने वाला सदा
    प्रश्न करके खुश होता
    जवाब न दे पाये तो
    सामने वाला हाथ मलता।
    वाह!!!
    बहुत सुन्दर सृजन।

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    1. बहुत बहुत आभार सुधा जी।

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  5. प्रश्न को प्रश्न रहने दो अभी
    हल में से फिर प्रश्न निकलेगा
    प्रश्न हल न कर पावोगे
    फिर प्रश्न से प्रश्न निकलेगा।

    वाह!! हर प्रश्न में एक प्रश्न निकलेगा,बहुत खूब,,सादर नमन आपको कुसुम जी

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    1. बहुत सा स्नेह आभार कामिनी जी।

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  6. बहुत ख़ूब ... प्रश्न भी आल ए आप में एक प्रश्न है क्यों कब कैसे और पूछा भी जाए या नहीं ...
    पर सच है जवाब न सूझे तो आगे निकल जाना ही बेहतर ...

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    1. बहुत बहुत आभार आपका नासवा जी , व्याख्यात्मक टिप्पणी से लेखन सार्थक हुआ।
      सादर

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