पाती आई प्रेम की
आज राधिका नाम ।
श्याम पिया को आयो संदेशो
हियो हुलसत जाए।
अधर छाई मुस्कान सलोनी
नैना नीर बहाए
एक क्षण भी चैन पड़त नाही
हियो उड़ी- उड़ी जाए।
जाय बसूं उस डगर
जासे नंद कुमार आए।
राधा जी मन आंगनें
नौबत बाजी जाए।
झनक-झनक पैजनिया खनके
कंगन गीत सुनाए।
धीर परत नही मन में
पांख होतो उड़ी जाए।
जाय बसे कान्हा के नैनन
सारा जग बिसराए ।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
आज राधिका नाम ।
श्याम पिया को आयो संदेशो
हियो हुलसत जाए।
अधर छाई मुस्कान सलोनी
नैना नीर बहाए
एक क्षण भी चैन पड़त नाही
हियो उड़ी- उड़ी जाए।
जाय बसूं उस डगर
जासे नंद कुमार आए।
राधा जी मन आंगनें
नौबत बाजी जाए।
झनक-झनक पैजनिया खनके
कंगन गीत सुनाए।
धीर परत नही मन में
पांख होतो उड़ी जाए।
जाय बसे कान्हा के नैनन
सारा जग बिसराए ।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
वाह! दी लाजवाब सृजन ...2001 में कारगिल के समय थी ऐसी स्थति.
ReplyDeleteसृजन हेतु सादर प्रणाम 🙏.
राधा-कृष्ण के प्रेम की अतल गहराइयों में गोते लगाती अद्भुत भाव-लहरी!!!
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(२८-०६-२०२०) को शब्द-सृजन-२७ 'चिट्ठी' (चर्चा अंक-३७४६) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
बेहद खूबसूरत रचना सखी।
ReplyDeleteआंनदित करती हुई रचना
ReplyDeleteराधा कृष्ण की प्रेम दास्तान गाती
ReplyDeleteकृष्ण की पाती राधा के नाम आती
वाह!!!
लाजवाब सृजन।
वाह ...
ReplyDeleteब्रिज भाषा का आनंद और प्रेम में पगी रचना ...
प्रीत कान्हा की राधा संग ... बहुत सुंदर ...
राधा-कृष्ण के प्रेम में पगी मनोरम रचना । ब्रज-भाषा ने रचना का सौन्दर्य भाव बढ़ा दिया है । बहुत सुन्दर सृजन कुसुम जी ।
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