Friday, 26 June 2020

चिठ्ठी (पाती श्याम की)

पाती आई प्रेम की
आज राधिका नाम ।
श्याम पिया को आयो संदेशो
हियो हुलसत जाए।
अधर छाई मुस्कान सलोनी
नैना नीर बहाए‌
एक क्षण भी चैन पड़त नाही
हियो उड़ी- उड़ी जाए।
जाय बसूं उस डगर
जासे नंद कुमार आए।
राधा जी मन आंगनें
नौबत बाजी जाए।
झनक-झनक पैजनिया खनके
कंगन गीत सुनाए।
धीर परत नही मन में
पांख होतो उड़ी जाए।
जाय बसे कान्हा के नैनन
सारा जग बिसराए ।

       कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

8 comments:

  1. वाह! दी लाजवाब सृजन ...2001 में कारगिल के समय थी ऐसी स्थति.
    सृजन हेतु सादर प्रणाम 🙏.

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  2. राधा-कृष्ण के प्रेम की अतल गहराइयों में गोते लगाती अद्भुत भाव-लहरी!!!

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  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(२८-०६-२०२०) को शब्द-सृजन-२७ 'चिट्ठी' (चर्चा अंक-३७४६) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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  4. बेहद खूबसूरत रचना सखी।

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  5. आंनदित करती हुई रचना

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  6. राधा कृष्ण की प्रेम दास्तान गाती
    कृष्ण की पाती राधा के नाम आती
    वाह!!!
    लाजवाब सृजन।

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  7. वाह ...
    ब्रिज भाषा का आनंद और प्रेम में पगी रचना ...
    प्रीत कान्हा की राधा संग ... बहुत सुंदर ...

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  8. राधा-कृष्ण के प्रेम में पगी मनोरम रचना । ब्रज-भाषा ने रचना का सौन्दर्य भाव बढ़ा दिया है । बहुत सुन्दर सृजन कुसुम जी ।

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