Thursday, 17 October 2019

तुम्ही छविकार चित्रकारा



          तुम्ही छविकार चित्रकारा 

तप्त से इस जग में हो बस तुम ही अनुधारा
तुम्ही रंगरेज तुम्ही छविकार, मेरे चित्रकारा,
रंग सात नही सौ रंगो से रंग दिया तूने मुझको
रंगाई ना दे पाई तेरे पावन चित्रों की तुझको।

हे सुरभित बिन्दु मेरे ललाट के अविरल
तेरे संग ही जीवन मेरा प्रतिपल चला-चल,
मन मंदिर में प्रज्जवलित दीप से उजियारे हो
इस बहती धारा में साहिल से बांह पसारे हो।

सांझ ढले लौट के आते मन खग के नीड़ तुम्ही
विश्रांति के पल- छिन में हो शांत सुधाकर तुम्ही,
मेरी जीवन नैया के सुदृढ़ नाविक हो तुम्ही 
सदाबहार खिला रहे उस फूल की शाख तुम्ही।।

                     कुसुम कोठारी।

11 comments:

  1. भावनाओं की उमंग जब चरम पर हो, तो ऐसी रचनाएँ जन्म लेती हैं। करवाचौथ की बहुत सारी शुभकामनाएँ ।

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  2. सुन्दर प्रस्तुति
    पधारें दुआ 

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  3. सांझ ढले लौट के आते मन खग के नीड़ तुम्ही
    विश्रांति के पल- छिन में हो शांत सुधाकर तुम्ही,
    मेरी जीवन नैया के सुदृढ़ नाविक हो तुम्ही
    सदाबहार खिला रहे उस फूल की शाख तुम्ही।।
    बहुत सुंदर सुब्र प्रिय कुसुम बहन | आकंठ अनुरागरत मन से निकले कृतज्ञ भाव , सरस और पावन भावोच्छ्वास | रचना के लिए हार्दिक बधाई और सुहागपर्व की कोटि बधाईयाँ और शुभकामनायें |

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  4. सांझ ढले लौट के आते मन खग के नीड़ तुम्ही
    विश्रांति के पल- छिन में हो शांत सुधाकर तुम्ही,
    मेरी जीवन नैया के सुदृढ़ नाविक हो तुम्ही
    सदाबहार खिला रहे उस फूल की शाख तुम्ही।।
    बेहद खूबसूरत रचना सखी 👌🌹 करवाचौथ की हार्दिक शुभकामनाएं सखी

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  5. प्यार को अभिव्यक्त करती बहुत ही सुंदर रचना, कुसुम दी।

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  6. समर्पण भाव में रंगी अत्यंत सुन्दर रचना👌👌

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  7. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१८-१०-२०१९ ) को " व्याकुल पथिक की आत्मकथा " (चर्चा अंक- ३४९३ ) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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  8. हे सुरभित बिन्दु मेरे ललाट के अविरल
    तेरे संग ही जीवन मेरा प्रतिपल चला-चल,

    aaaahhhh...kitnaaa pyaaraa likhti hain aap..aapki bhasha shaili..bhasha pryog..adhbhu..

    bahut pyaari rchnaa
    bdhaayi

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  9. हे सुरभित बिन्दु मेरे ललाट के अविरल
    तेरे संग ही जीवन मेरा प्रतिपल चला-चल,
    मन मंदिर में प्रज्जवलित दीप से उजियारे हो
    इस बहती धारा में साहिल से बांह पसारे हो।


    वाह दी क्या लाज़वाब पंक्तियाँ लिखी है आपने.. अत्यंत अनुराग और पवित्र भाव से गूँथे शब्दों में प्रेम की मधुर खुशबू महसूस की जा सकती है। बहुत सुंदर रचना दी।

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  10. "सदाबहार फूल की शाखा तुम्हीं" कितनी प्यारी बात है ये।
    सम्पूर्ण प्रस्तुति एक लय में बहती जा रही है।
    प्रेम रस से सराबोर बहुत प्यारी रचना।
    मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है 👉👉  लोग बोले है बुरा लगता है

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  11. रंग सात नही सौ रंगो से रंग दिया तूने मुझको
    रंगाई ना दे पाई तेरे पावन चित्रों की तुझको।
    वाह!!!
    प्रेम और समर्पण की पराकाष्ठा...
    बहुत ही लाजवाब कृति।

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