Sunday, 13 October 2019

शरद पूर्णिमा का चांद

धवल ज्योत्सना पूर्णिमा की 
अंबर रजत चुनर ओढ, मुखरित
डाल-डाल चढ़ चंद्रिका  डोलत
पात - पात पर  रमत  चंदनिया
तारक दल  सुशोभित  दमकत
नील कमल पर अलि डोलत यूं
ज्यों श्याम मुखबिंद काले कुंतल
गुंचा महका ,  मलय  सुवासित
चहुँ ओर उजली किरण सुशोभित
नदिया  जल चांदी  सम चमकत
कल छल कल मधुर राग सुनावत
हिम गिरी  रजत  सम  दमकत
शरद  स्वागतोत्सुक मंयक की
आभा अपरिमित सुंदर शृंगारित
 शोभा न्यारी अति भारी सुखकारी।
             कुसुम  कोठारी।

9 comments:


  1. गुंचा महका , मलय सुवासित
    चहुँ ओर उजली किरण सुशोभित
    नदिया जल चांदी सम चमकत
    कल छल कल मधुर राग सुनावत
    शरद पूर्णिमा के चन्द्रमा का मनोहारी वर्णन..बहुत सुन्दर सृजन कुसुम जी ।

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  2. जी नमस्ते,


    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (14-10-2019) को "बुरी नज़र वाले" (चर्चा अंक- 3488) पर भी होगी।


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    रवीन्द्र सिंह यादव

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 15 अक्टूबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. अप्रतिम.. बहुत सुंदर रचना दी..साहित्यिक शब्दकोश के नये शब्दों का प्रयोग कर आप सदैव रचनाओं में ताज़गी का एहसास दिला जाती है।

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  5. अनुपम सृजन सादर नमन कुसुम जी

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  6. बहुत ही सुन्दर रचना सखी

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  7. धवल ज्योत्सना पूर्णिमा की
    अंबर रजत चुनर ओढ, मुखरित
    डाल-डाल चढ़ चंद्रिका डोलत
    पात - पात पर रमत चंदनिया
    पूर्णिमा की धवल ज्योत्सना का बहुत ही मनोहारी शब्दचित्रण....
    वाह!!!

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  8. बहुत सुंदर रचना सखी 👌👌

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