छाये बादल
छाने लगे अब थोड़े-थोड़े बादल लिये काली कोर
क्षितिज तक फैले कभी उस छोर कभी इस छोर।
पृथा पुलक रही मन मीत के आने की आहट सुन
कितनी क्लांत श्रृंगार विहीन हो बैठी थी विरहन ।
कृष्ण पिया को देख सिहर उठी नदिया मन हारी
कृषकाय, सर्व हारा, लुप्त प्रायः, रिक्त बेचारी।
वनप्रिया कुहुक उठी वन में ले मन अनुराग
श्याम छवि बादलों की भर गई मन में राग।
किसानों के हाथों में हल बीज रहे हुलक
आंगन उनके नन्हे नाचे आस लिये पलक ।
कुसुम कोठारी।
छाने लगे अब थोड़े-थोड़े बादल लिये काली कोर
क्षितिज तक फैले कभी उस छोर कभी इस छोर।
पृथा पुलक रही मन मीत के आने की आहट सुन
कितनी क्लांत श्रृंगार विहीन हो बैठी थी विरहन ।
कृष्ण पिया को देख सिहर उठी नदिया मन हारी
कृषकाय, सर्व हारा, लुप्त प्रायः, रिक्त बेचारी।
वनप्रिया कुहुक उठी वन में ले मन अनुराग
श्याम छवि बादलों की भर गई मन में राग।
किसानों के हाथों में हल बीज रहे हुलक
आंगन उनके नन्हे नाचे आस लिये पलक ।
कुसुम कोठारी।
वनप्रिया कुहुक उठी वन में ले मन अनुराग
ReplyDeleteश्याम छवि बादलों की भर गई मन में राग। बहुत ही बेहतरीन रचना सखी 👌👌
बहुत बहुत आभार सखी आपकी मनभावन प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह मिला ।
Deleteसस्नेह।
बेहतरीन सृजन दी
ReplyDeleteसादर
ढेर सा स्नेह आभार बहना।
Deleteपृथा पुलक रही मन मीत के आने की आहट सुन
ReplyDeleteकितनी क्लांत श्रृंगार विहीन हो बैठी थी विरहन ।
अपनी अपनी नियति !
सुंदर सृजन, प्रणाम।
बहुत बहुत आभार सार्थक सक्रिय प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली ।
Deleteसस्नेह ।
ReplyDeleteवनप्रिया कुहुक उठी वन में ले मन अनुराग
श्याम छवि बादलों की भर गई मन में राग।
वाह बहना बहुत ही शानदार भाव पिरोये हैं रचना में !!!! सस्नेह --
रेणु बहन आपकी प्रति पंक्तियों में भी नेह अनुराग छलक रहा है सच रचना सार्थक हुई।
Deleteआपक स्नेह अतुल्य है।
ढेर सा स्नेह।
वनप्रिया कुहुक उठी वन में ले मन अनुराग
ReplyDeleteश्याम छवि बादलों की भर गई मन में राग।
अत्यन्त सुन्दर .. लाजवाब सृजन कुसुम जी ।
प्रिय मीना जी आपकी प्यारी सी प्रतिक्रिया सदा मन में उत्साह का संचार करती है।
ReplyDeleteसस्नेह आभार।
लाज़वाब शब्द चित्र। बहुत सुंदर...
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय आपकी प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई
Deleteसादर।
पृथा पुलक रही मन मीत के आने की आहट सुन
ReplyDeleteकितनी क्लांत श्रृंगार विहीन हो बैठी थी विरहन ।
बहुत सुंदर भाव ...,लाज़बाब
बहुत बहुत आभार आपका प्रोत्साहन मिला ।
Deleteलाज़बाब रचना कुसुम
ReplyDeleteसादर आभार दी आशीर्वाद दिजीये।
Delete“ आपकी लिखी रचना "साप्ताहिक मुखरित मौन में" शनिवार 1 जून 2019 को साझा की गई है......... "साप्ताहिक मुखरित मौन" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार मीना जी मै अवश्य उपस्थित रहूंगी। मुखरित मौन में आना मेरे लिए सौभाग्य का विषय है।
Deleteसाभार।