Friday 8 March 2019

बन तस्वीर संवरी हूं मैं

हार्दिक शुभकामनाएं

हां कतरा कतरा पिघली हूं मैं
फिर सांचे सांचे ढली हूं मैं
हां जर्रा जर्रा बिखरी हूं मैं
फिर बन तस्वीर संवरी हूं मैं 
अपनो को देने खुशी
अपनो संग चली हूं मैं
अपना अस्तित्व भूल
सब का अस्तित्व बनी हूं मैं
कुछ हाथ आंधी से बचा रहे थे
तभी रोशन हो शमा सी जली हूं मैं
छूने को  उंचाइयां
रुख संग हवाओं के बही हूं मैं।

           कुसुम कोठारी।

33 comments:

  1. कुछ हाथ आंधी से बचा रहे थे
    तभी रोशन हो शमा सी जली हूं मैं
    बहुत ही लाजवाब एवं उत्कृष्ट सृजन...
    वाह!!!

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    1. बहुत सा आभार प्रिय सखी।

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  2. हां कतरा कतरा पिघली हूं मैं
    फिर सांचे सांचे ढली हूं मैं
    हां जर्रा जर्रा बिखरी हूं मैं
    फिर बन तस्वीर संवरी हूं मैं बहुत ही बेहतरीन रचना सखी

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    1. सस्नेह आभार प्रिय सखी आपकी प्रतिक्रिया सदा उत्साह बढाती है।

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  3. कतरा कतरा सांचे में ढाल कर जो शब्द चित्र बनाया है वह लाजवाब व अत्यन्त सुन्दर है कुसुम जी ।

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    1. आपकी मन भावन प्रतिक्रिया से मन आह्लादित हुवा मीना जी ढेर सा स्नेह आभार ।

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    1. जी सस्नेह आभार ज्योति जी ।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका।
      सस्नेह ।

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  6. बढिया प्रस्तुति।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
    iwillrocknow.com

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    1. जी शुक्रिया आपके उत्साह वर्धन के लिये ।

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  7. अपना अस्तित्व भूल
    सब का अस्तित्व बनी हूं मैं
    कुछ हाथ आंधी से बचा रहे थे
    तभी रोशन हो शमा सी जली हूं मैं
    छूने को उंचाइयां
    रुख संग हवाओं के बही हूं मैं।

    सुन्दर पंक्तियाँ....

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    1. जी सादर आभार बहुत सा प्रोत्साहित करती सराहन के लिए ।

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  8. जिंदगी इसी को कहते हैं ...
    खुद को मिटा कर जीवन की आशा जलानी होती है ... यही जीवन है ... अची राच्च्ना है बहुत ...

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    1. बहुत बहुत आभार नासवा जी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली ।

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  9. आपकी लिखी रचना आज ," पाँच लिंकों का आनंद में " बुधवार 13 मार्च 2019 को साझा की गई है..
    http://halchalwith5links.blogspot.in/
    पर आप भी आइएगा..धन्यवाद।

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    1. बहुत बहुत आभार पम्मी जी इस सम्मान के लिये ।
      पांच लिंकों में आनि सदा सुखद अनुभूति है।
      सस्नेह।

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  10. अपना अस्तित्व भूल
    सब का अस्तित्व बनी हूं मैं.... वाह! बहुत सुंदर।

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    1. जी सादर आभार आपका प्रोत्साहन मिला ।

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  11. बेहतरीन रचना सखी
    सादर

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    1. बहुत बहुत आभार सखी आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह वर्धन हुवा ।

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  12. हां जर्रा-जर्रा बिखरी हूं मैं, फिर बन तस्वीर संवरी हूं मैं! क्या बात है कुसुम जी। आपका बधाई । सादर।

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    1. जी सादर आभार आपका प्रोत्साहित करने के लिए।

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  13. अपनो संग चली हूं मैं
    अपना अस्तित्व भूल
    सब का अस्तित्व बनी हूं मैं
    बहुत खूब.... यही तो नारी जीवन है ,सादर स्नेह

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    1. बहुत बहुत आभार कामिनी जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली
      सस्नेह ।

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  14. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार (22-06-2020) को 'कैनवास में आज कुसुम कोठारी जी की रचनाएँ' (चर्चा अंक-3740) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हमारी विशेष प्रस्तुति 'कैनवास' में आपकी यह प्रस्तुति सम्मिलित की गई है।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    -रवीन्द्र सिंह यादव

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  15. सुंदर प्रस्तुति।

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