Friday, 22 March 2019

ऋतु वसंत


ऋतु वसंत

देखो धरा पर कैसी
निर्मल चांदनी छाई है
निर्मेघ गगन से शशि
विभा उतर के आयी है ।

फूलों पर कैसी भीनी
गंध सौरभ लहराई  है
मलय मंद मधुर मधुर
मादकता ले आयी है ।

मंजु मुकुर मौन तोड़ने
मन वीणा झनकाई है
प्रकृति सज रूप सलज
सरस सुधा सरसाई है ।

हरित धरा मुखरित शाखाएं
कोमल सुषमा बरसाई है
वन उपवन ताल तड़ाग
वल्लरियां मदमाई है।

कुसुम कलिका कल्प की
उतर धरा पर आयी हैं
नंदन कानन उतरा है
लो, वसंत ऋतु आयी है।

       कुसुम कोठारी।

14 comments:

  1. बहुत खूब
    शानदार प्रकृति चित्रण

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी बहुत सा आभार आपका सुंदर प्रतिक्रिया के लिये ।

      Delete
  2. कुदरत का बहुत मनोरम रूप निखर कर आया है रचना में कुसुम जी । अप्रतिम सृजन ।


    ReplyDelete
    Replies
    1. आपकी सराहना मन लुभा गई मीना जी ।
      सस्नेह आभार ।

      Delete
  3. हरित धरा मुखरित शाखाएं
    कोमल सुषमा बरसाई है
    वन उपवन ताल तड़ाग
    वल्लरियां मदमाई है।
    बहुत सुंदर रचना सखी

    ReplyDelete
    Replies
    1. ढेर सा स्नेह आभार सखी मनभावन उपस्थिति आपकी।
      सस्नेह।

      Delete
  4. बसंत ऋतु का बहुत ही सुंदर वर्णन किया हैं आपने कुसुम दी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. ढेर सा स्नेह ज्योति बहन आपकी सराहना से रचना को सार्थकता मिली ।
      सस्नेह ।

      Delete
  5. बहुत सा आभार भाई आपकी सराहना के लिए ।अनुग्रहित हुई मैं।
    सस्नेह।

    ReplyDelete
  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    २५ मार्च २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    ReplyDelete
  7. मलय मंद मधुर मधुर
    मादकता ले आयी है ।
    वसंत सी मनभावनी ...बहुत लाजवाब अभिव्यक्ति
    वाह!!!

    ReplyDelete
  8. बहुत लाजवाब सजन है आपका, नमन आपकी लेखनी को

    ReplyDelete
  9. बहुत लाजवाब सृजन है आपका, नमन आपकी लेखनी को🙏

    ReplyDelete