Tuesday, 19 March 2019

तू कैसो रंगरेज ओ कान्हा


तू कैसो रंगरेज ओ कान्हा

ना खेरूं होरी तोरे संग सांवरिया
बिन खेले तोरे रंग रची मैं
कछु नाही मुझ में अब मेरो
किस विधि चढ्यो रंग छुडाऊं
तू कैसो रंगरेज ओ कान्हा
कौन देश को रंग मंगायो
बिन डारे में हुई कसुम्बी
तन मन सारो ही रंग ड़ार् यो
ना खेरूं होरी तोरे संग.....

         कुसुम कोठारी ।

9 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर रचना सखी

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  2. सुन्दर कल्पना ...
    कान्हा का रंग तो ऐसा चढ़ता है कभी छूटता ही नहीं है ... मुनहार करती प्रेम पगी रचना ...

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  3. होली की शुभकानाएं

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  4. सुन्दर सृजन सखी ! होली के पावन अवसर पर आपको अशेष व अनन्त शुभकामनाएं 🙏🙏

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  5. बहुत ही सुंदर होली गीत , होली की हार्दिक शुभकामनाये कुसुम जी

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  6. बहुत सुंदर। होली की शुभकामनाएं...

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