Friday, 4 January 2019

शाम की उदासियां

शाम की उदासियां

झील के शांत पानी में
शाम की उतरती धुंधली उदासी
कुछ और बेरंग
श्यामल शाम का सुनहरी टुकडा
कहीं क्षितिज के छोर पर पहुंच 
काली कम्बली में सिमटता
निशा के उद्धाम अंधकार से 
एकाकार हो
जैसे पर्दाफाश  करता
अमावस्या के रंग हीन
बेरौनक आसमान का
निहारिकाऐं जैसे अवकाश पर हों
चांद के साथ कही सुदूर प्रांत में
ओझल कहीं किसी गुफा में विश्राम करती
छुटपुट तारे बेमन से टिमटिमाते
धरती को निहारते मौन
कुछ कहना चाहते,
शायद धरा से मिलन का
कोई सपना हो
जुगनु दंभ में इतराते
चांदनी की अनुपस्थिति में
स्वयं को चांद समझ डोलते
चकोर व्याकुल कहीं
सरसराते अंधेरे पात में दुबका
खाली सूनी आँखों में
एक एहसास अनछुआ सा
अदृश्य से गगन को
आशा से निहारता
शशि की अभिलाषा में
विरह में जलता
कितनी सदियों
यूं मयंक के मय में
उलझा रहेगा
इसी एहसास में
जीता मरता रहेगा
उतरती रहेगी कब तक
शांत झील में शाम की उदासियां।

             कुसुम कोठारी

16 comments:

  1. श्यामल शाम का सुनहरी टुकडा,
    कहीं क्षितिज के क्षोर पर पहुंच
    काली कम्बली में सिमटता उदासी भरी किन्तु बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति सादर स्नेह

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    1. आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली कामिनी जी सदा स्नेह बनाये रखें।
      सस्नेह ।

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  2. अतुल्य प्रकृति वर्णन..
    उत्तम

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    1. बहुत बहुत स्नेह पम्मी जी उत्साह वर्धन के लिये सदा स्नेह बनाये रखें।
      सस्नेह।

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  3. चकोर व्याकुल कहीं
    सरसराते अंधेरे पात में दुबका
    खाली सूनी आँखों में
    एक एहसास अनछुआ सा
    अदृश्य से गगन को
    आशा से निहारता
    शशि की अभिलाषा में
    विरह में जलता
    कितनी सदियों
    प्रकृति का बिल्कुल करीब से चित्रण।
    सुंदर ..

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    1. सस्नेह आभार शशि भाई आपकी सराहना से रचना मुखरित हुई। तहेदिल से शुक्रिया ।

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  4. कुसुम दी, बहुत ही सुन्दर प्रकृति वर्णन।

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    1. बहुत सा प्यार ज्योति बहन उत्साह वर्धन के लिये ।
      सस्नेह ।

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  5. बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति सखी

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    1. बहुत सा स्नेह सखी उत्साह वर्धन करने के लिए
      सस्नेह ।

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  6. प्रकृति का अद्भुत वर्णन । खूबसूरत और भावपूर्ण ।

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    1. सस्नेह आभार मीना जी आपकी प्रतिक्रिया से मन को खुशी मिली और अच्छा लिखने की प्रेरणा।
      सस्नेह ।

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  7. शाम की उदासी कितमा कुछ अनकहा यूँ ही अपने रंगों से कह जाती है ...
    प्राकृति के अनेक रूप इस उदासी को बाखूबी बयां कर रहे हैं ...

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    1. जी सादर आभार आपकी प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया से उत्साह वर्धन हुवा ।
      तहेदिल से शुक्रिया।

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  8. अंतस को छूता बहुत सुन्दर शब्दचित्र....

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    1. जी ढेर सा आभार उत्साह वर्धन के लिये।
      सादर ।

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