Monday, 19 November 2018

मेरी भावना ~ क्षणिकाएं

चार क्षणिकाएं ~ मेरी भावना

भोर की लाली लाई
आदित्य आगमन की बधाई

रवि लाया एक नई किरण
संजोये जो, सपने हो पूरण
पा जाऐं सच में नवजीवन

उत्साह की सुनहरी धूप का उजास
भर दे सबके जीवन मे उल्लास ।



साँझ ढले श्यामल चादर
जब लगे ओढ़ने विश्व!

नन्हें नन्हें दीप जला कर
प्रकाश बिखेरो चहुँ ओर
दे आलोक, हरे हर तिमिर

त्याग अज्ञान मलीन आवरण
पहन ज्ञान का पावन परिधान ।



मानवता भाव रख अचल
मन में रह सचेत प्रतिपल

सह अस्तित्व ,समन्वय ,समता ,
क्षमा ,सजगता और परहितता
हो रोम रोम में संचालन

हर प्राणी पाये सुख,आनंद
बोद्धित्व का हो घनानंद।



लोभ मोह जैसे अरि को हरा
दे ,जीवन को समतल धरा

बाह्य दीप मालाओं के संग
प्रदीप्त हो दीप मन अंतरंग
जीवन में जगमग ज्योत जले

धर्म ध्वजा सुरभित अंतर मन
जीव दया का पहन के वसन

          कुसुम कोठारी ।

13 comments:

  1. बहुत सुंदर भावों से सजी बेहतरीन रचना सखी

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    1. सखी आपका स्नेह सदा मेरा उत्साह बढ़ाता है।

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २२ नवंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. जी, त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ कृपया शुक्रवार को गुरुवार पढ़िए।
      धन्यवाद
      सादर।

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    2. सस्नेह आभार ।
      सुचना देना भर काफी था क्षमा की कोई बात नही आदतन ऐसा हो जाता है. मै अवश्य चर्चा पर उपस्थित रहूंगी

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  3. हर प्राणी पाए सुख आनंद ...
    ऐसे सात्विक विचारों से बाँधा है इन सुन्दर क्षणिकाओं को ... आनद मय ...

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    1. आपकी चिरपरिचित सराहना से रचना सार्थक हुई आदरणीय नासवा जी।
      सादर आभार

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  4. बहुत ही सुन्दर.... लाजवाब क्षणिकाएं...
    सह अस्तित्व ,समन्वय ,समता ,
    क्षमा ,सजगता और परहितता
    हो रोम रोम में संचालन
    वाह!!!

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    1. सखी आपका स्नेह और सराहना अतुल्य हैं।
      सस्नेह आभार।

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  5. वाह !!बहुत सुन्दर सखी 👌

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  6. सह अस्तित्व ,समन्वय ,समता ,
    क्षमा ,सजगता और परहितता
    हो रोम रोम में संचालन ......,
    बेहतरीन भाव ...., मन प्रफुल्लित हो गया आपकी रचना पढ कर।

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    1. सस्नेह आभार मीना जी उत्साहित करती आपकी प्रतिक्रिया।

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