Monday, 29 October 2018

पाती आई प्रेम की


पाती
पाती  आई  प्रेम  की
आज  राधिका नाम
श्याम पीया को आयो संदेशो
हियो हुलसत जाय
अधर छाई मुस्कान सलोनी
नैना नीर बहाय
एक क्षण भी चैन पड़त नाही
हिय उड़ी उडी जाय
जाय बसुं उस डगर जासे
आये नंद कुमार
राधा जी मन आंगने
नौबत बाजी जाय
झनक झनक पैजनिया खनके
कंगन गीत सुनाय
धीर परत नही मन में
पांख होतो उडी जाय
जाय बसे कान्हा के
नैनन सारा जग बिसराय।

      कुसुम कोठारी।

9 comments:

  1. धीर परत नही मन में
    पांख होतो उडी जाय
    जाय बसे कान्हा के
    नैनन सारा जग बिसराय।
    वाह बहुत मनभावन रचना सखी

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    1. सस्नेह आभार सखी आपकी मनभावन प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।

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  2. बहुत ही सुंदर

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    1. बहुत सा आभार लोकेश जी उत्साहित करती आपकी प्रतिक्रिया।

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  3. बहुत ही सुन्दर रचना

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    1. सस्नेह आभार अभिलाषा बहना ।

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  4. वाह!बहुत सुंदर !!

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    1. स्नेह भरा आभार मित्र जी।

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  5. आभार भाई ।
    जय श्री कृष्णा ।

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