Friday, 3 August 2018

ओ नौजवान

युवाओं को आह्वान

वीर देश के गौरव हो तुम
माटी की शान तुम
भूमि का अभिमान तुम
देश की आन तुम
राह के वितान तुम।

ओ नौजवान बढ़ो चलो
धीर तुम गम्भीर तुम।

राहें विकट,हौसले बुलंद रख
चीर दे सागर का सीना
पांव आसमां पे रख
आंधी तुम तूफान तुम
राष्ट्र की पतवार तुम।

ओ नौजवान बढ़ो चलो
धीर तुम गम्भीर तुम।

भाल को उन्नत रख
हाथ में कमान रख
बन के आत्माभिमानी
शीश झुका के पर्वतों के
राह पर कदम रख।

ओ नौजवान बढ़ो चलो
धीर तुम गम्भीर तुम।

दुर्जनों को रौंद दे
निर्बलों की ढाल तुम
नेकियाँ हाथों में रख
मान तुम गुमान तुम
सागर के साहिल तुम।

ओ नौजवान बढ़ो चलो
धीर तुम गम्भीर तुम।

तूं महान कर्मकर
अर्जुन तुम कृष्ण तुम
राह दिखा दिग्भ्रमित को
गीता के संदेश तुम
अबलाओं के त्राण तुम।

ओ नौजवान बढ़ो चलो
धीर तुम गम्भीर तुम।
   
       कुसुम कोठारी ।

6 comments:


  1. तूं महान कर्मकर
    अर्जुन तुम कृष्ण तुम
    राह दिखा दिग्भ्रमित को
    गीता के संदेश तुम
    अबलाओं के त्राण तुम बेहद खूबसूरत रचना संदेश देती हुई 👌👌👌

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    1. बहुत सा आभार प्रिय सखी ।

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  2. बहुत ही लाजवाब आह्वान है आपकी रचना ... दिनकर जी की याद दिला दी इस रचना ने ... आज के समय की आवश्यकता है ... युवा वर्ग को जागना होगा इस देश, समाज के लिए ...

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    1. इतनी उत्कृष्ट सराहना के बाद और क्या चाहिये एक रचना कार को सादर आभार आदरणीय आपसे सदा प्रोत्साहन मिलता रहता है।

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  3. बहुत ही लाजवाब

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    1. सादर आभार लोकेश जी।

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