Friday, 16 March 2018

तूं अकेला कब है

कर्म  का सुनहरा पैगाम....

तूं अकेला कब है
तेरे साथ तेरा आत्म गौरव है
तूं अकेला कब है
तेरे साथ तेरी हिम्मत  है
तूं अकेला कब है
तेरे साथ तेरा आत्म बल है
बादलों मे जो राह बना ले
तूं ऐसा सौर्यमंडल है ।

    कुसुम कोठारी।

8 comments:

  1. वाह !!! बहुत खूब .... शानदार रचना

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    1. स्नेह आभार सखी ।
      ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति उत्साह बढाती है।
      शुभ दिवस

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  2. वाह!!!
    बहुत सुन्दर...
    लाजवाब।

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    1. बहुत सा आभार सखी आप ने ब्लाग पर आकर प्रतिक्रिया दी बहुत अच्छा लगा
      शुभ दिवस।

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  3. कर्म हाई शक्ति है ...

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  4. बहुत सुंदर बिटिया कुसुम कोठारी

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    1. नमस्कार काकासा सादर आभार।

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