Monday, 22 January 2018

नेताजी

"तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दूंगा"
गरजा था एक शेर बन नारायणी उद्घघोष,
नेताजी को कोटिशः वंदन।

विजय शंख का नाद है गूंजा
वीरों की हुंकार है  गरजी
सोते शेर जगाये कितने
आह्वान है आज सभी को
उठो चलो प्रमाद को त्यागो
मां जननी अब बुला रही
वीर सपूतों अब तो जागो
आंचल मां का तार हुवा
बाजुु है अब  लहुलुहान
कब मोह नींद छोड़ोगे ?
क्या मां की आहुती होगी
या फिर देना है निज प्राण
घात लगाये जो बैठे थे अब
वो खसोट रहे खुल्ले आम
धर्म युद्ध तो लड़ना होगा
पाप धरा का हरना होगा
आज हुवा नारायणी उदघोष
जाग तूं और जगा जन मन मे जोश ।
             कुसुम कोठारी ।

6 comments:

  1. अति सुंदर रचना
    वाह....कुसुम जी

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  2. जय मां हाटेशवरी...
    अनेक रचनाएं पढ़ी...
    पर आप की रचना पसंद आयी...
    हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    इस लिये आप की रचना...
    दिनांक 10/04/2018 को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की गयी है...
    इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

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  3. वाह!!कुसुम जी ,लाजवाब रचना ।

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  4. धर्म युद्ध तो लड़ना होगा
    पाप धरा का हरना होगा
    आज हुवा नारायणी उदघोष
    जाग तूं और जगा जन मन मे जोश ।-----
    वाह !!!! प्रिय कुसुम जी ----- बहुत ही जोशीला उद्घोष !!!!!!! सुंदर सार्थक रचना | हार्दिक बधाई |

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  5. बहुत सुन्दर प्रेरक रचना...
    मन में जोश जगाती
    वाह!!!

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