Sunday 3 January 2021

दूध मुंहा दौड़ चला


 दूध मुंहा दौड़ चला ।


जन्म लेते ही साल  दौड़ने लगा !!

हाँ वो गोड़ालिया नहीं चलता, नन्हें बच्चों की तरह,

बस सीधा समय की कोख से अवतरित होकर समय के पहियों पर चढ़ कर भागने लगता है।

उसे भागना ही पड़ता है वर्ना इतने ढेर काम सिर्फ ३६५ दिन में कैसे पूरा करें पायेगा।


वह स्वस्थ हो या अस्वस्थ उसे बस इतना ही जीवन काल मिलता है।


वो जाते जाते अपनी प्रतिछाया छोड़ जाता है फिर उतने ही काल के लिए।


वह रोगी हो, असाध्य रोगों से ग्रसित हो तो भी स्वयं मृत्यु को वरण करने का उसे हक नहीं।

उसे सारा ज़माना कोसता है,

चाहता है कि ये कलमुंहा चला जाए जल्दी , पर उसे दुआ बददुआ दोनों नहीं लगती। 


चिर शाप या वरदान से ग्रसित है, ये जन्मा अजन्मा न जाने किस देव या ऋषि से।


बस समय से इसका नाता हर पल रहता है, ये समय की पुस्तक में इतिहास बन कर रहता है। या फिर लोगों के दिल में खुशी की सौगात या ग़मो  का अंधकार बनकर।।


अलविदा!

सुस्वागतम !!


कुसुम कोठारी'प्रज्ञा '

25 comments:

  1. नव वर्ष मंगलमय हो। सुन्दर सृजन।

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    1. जी आदरणीय आपको भी अशेष शुभकामनाएं।
      सादर आभार।

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  2. बहुत बढ़िया।
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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    1. आपको भी नव वर्ष पर हार्दिक शुभकामनाएं।
      सादर आभार सहित।

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 05 जनवरी 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. नववर्ष मंगलमय हो।
      बहुत बहुत आभार मुझे चर्चा में स्थान देने के लिए।
      सादर।

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  4. वाह!बहुत ही सुंदर दी मन को छूते भाव।
    सादर

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    1. बहुत बहुत स्नेह आभार , नववर्ष मंगलमय हो।

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  5. सकारात्मक सोच, सुन्दर रचना।
    --
    नूतन वर्ष 2021 की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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    1. नूतन वर्ष मंगलमय हो आपको एवं आपके परिवार को।
      सादर आभार आपका आदरणीय।

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  6. बहुत बहुत सुन्दर

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    1. बहुत बहुत आभार आपका।
      नूतन वर्ष मंगलमय हो।

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  7. सादर नमस्कार ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (5-12-20) को "रचनाएँ रचवाती हो"'(चर्चा अंक-3937) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    कामिनी सिन्हा

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    1. बहुत बहुत आभार आपका कामिनी जी, मुझे चर्चा में स्थान देने के लिए।
      नववर्ष मंगलमय हो।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  9. वाह......अद्भुत भाव है।सुन्दर

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    1. बहुत बहुत आभार आपका दी आपके आशीर्वाद से रचना मुखरित हुई।
      सस्नेह नववर्ष मंगलमय हो।

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  10. बस सीधा समय की कोख से अवतरित होकर समय के पहियों पर चढ़ कर भागने लगता है।
    उसे भागना ही पड़ता है वर्ना इतने ढेर काम सिर्फ ३६५ दिन में कैसे पूरा करें पायेगा।

    दार्शनिकता से भरपूर बहूत सुंदर विचार...
    वर्ष में बंधा समय इसी प्रकार चलायमान रहता है...
    हार्दिक बधाई कुसुम कोठारी ‘प्रज्ञा’ जी 🌹🙏🌹

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    1. मैं अभिभूत हूं शरद जी आपकी मोहक प्रतिक्रिया से मेरी रचना को नये आयाम मिले।
      सही कहा आपने समय बंधन मेंज्ञभी चलायमान रहता है ।
      सस्नेह आभार।

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  11. बहुत सुंदर सृजन 👌👌

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    1. बहुत बहुत आभार आपका सखी।
      नववर्ष मंगलमय हो।

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  12. Replies
    1. जी सादर आभार आपका उत्साहवर्धन हुआ।
      नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  13. अभिशप्त है भागने के लिए ! खुद के लिए भी समय के पास समय नहीं है

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