स्वतंत्रता दिवस की अनंत शुभकामनाएं।
तिरंगे की शान में
अब न वादे सिर्फ होंगे
जीत की आशा फलेगी।
ठान ले हर देश वासी
रात तब गहरी ढलेगी।
लाखों की बलिवेदी पर
तिरंगे का इतिहास है।
खोये कितने ही सपूत
जाकर मिला ये हास है।
फिर दिलों में शान से
इक प्रेम होली जलेगी।
मर्म तक कोई न भेदे
अब भी समय है हाथ में।
हर दिशा में शत्रु फैले
कर सामना मिल साथ में।
आजादी की कीमत जब
हर एक जन में पलेगी।
दुष्कर करदो जीना अब
जो अमन को घायल करे।
जीना वो जीना जानों
हित देश के जीये मरे ।
ध्वज तिरंगा हाथ लेकर,
इक हवा फिर से चलेगी।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteदुष्कर करदो जीना अब
ReplyDeleteजो अमन को घायल करे।
जीना वो जीना जानों
हित देश के जीये मरे । बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, कुसुम दी।
बहुत बहुत आभार आपका ज्योति बहन।
Deleteउत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया आपकी
सस्नेह।
मर्म तक कोई न भेदे
ReplyDeleteअब भी समय है हाथ में।
हर दिशा में शत्रु फैले
कर सामना मिल साथ में।
आजादी की कीमत जब
हर एक जन में पलेगी।
वाह!!!
स्वतंत्रता दिवस पर बहुत प्रेरक एवं ही शानदार नवगीत
बहुत बहुत बधाई कुसुम जी!
जी बहुत बहुत आभार आपका सुधा जी,
Deleteआपकी स्नेहिल उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया मेरे लेखन का पुरस्कार है।
सस्नेह।
बहुत प्रेरक गीत । काश ये भावना हर देशवासी के हृदय में हो ।
ReplyDeleteजी सही कहा आपने, हर एक देशवासी प्रतिबद्धता आवश्यक है।
Deleteसस्नेह आभार आपका सुंदर भाव प्रतिक्रिया।
सादर।
बहुत सुंदर सकारात्मक गीत,देशप्रेम की ऊर्जा भरता हुआ,बहुत शुभाकामनाएं कुसुम जी।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी, आपकी प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
Deleteसदा स्नेह बनाए रखें।
सस्नेह।
मुग्ध करता सराहनीय सृजन।
ReplyDeleteसादर
सस्नेह आभार आपका अनिता।
Deleteसस्नेह है