Saturday, 14 August 2021

तिरंगे की शान में


 स्वतंत्रता दिवस की अनंत शुभकामनाएं।


तिरंगे की शान में


अब न वादे सिर्फ होंगे

जीत की आशा फलेगी।

ठान ले हर देश वासी

रात तब गहरी ढलेगी।


लाखों की बलिवेदी पर

तिरंगे का इतिहास है।

खोये कितने ही सपूत 

जाकर मिला ये हास है।

फिर दिलों में शान से

इक प्रेम होली जलेगी।


मर्म तक कोई न भेदे  

अब भी समय है हाथ में।

हर दिशा में शत्रु फैले

कर सामना मिल साथ में।

आजादी की कीमत जब

हर एक जन में पलेगी।


दुष्कर करदो जीना अब

जो अमन को घायल करे।

जीना वो जीना जानों

हित देश के जीये मरे ।

ध्वज तिरंगा हाथ लेकर,

इक हवा फिर से चलेगी।।


कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

11 comments:

  1. दुष्कर करदो जीना अब

    जो अमन को घायल करे।

    जीना वो जीना जानों

    हित देश के जीये मरे । बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, कुसुम दी।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका ज्योति बहन।
      उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया आपकी
      सस्नेह।

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  2. मर्म तक कोई न भेदे
    अब भी समय है हाथ में।
    हर दिशा में शत्रु फैले
    कर सामना मिल साथ में।
    आजादी की कीमत जब
    हर एक जन में पलेगी।
    वाह!!!
    स्वतंत्रता दिवस पर बहुत प्रेरक एवं ही शानदार नवगीत
    बहुत बहुत बधाई कुसुम जी!

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका सुधा जी,
      आपकी स्नेहिल उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया मेरे लेखन का पुरस्कार ‌है।
      सस्नेह।

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  3. बहुत प्रेरक गीत । काश ये भावना हर देशवासी के हृदय में हो ।

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    1. जी सही कहा आपने, हर एक देशवासी प्रतिबद्धता आवश्यक है।
      सस्नेह आभार आपका सुंदर भाव प्रतिक्रिया।

      सादर।

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  4. बहुत सुंदर सकारात्मक गीत,देशप्रेम की ऊर्जा भरता हुआ,बहुत शुभाकामनाएं कुसुम जी।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका जिज्ञासा जी, आपकी प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
      सदा स्नेह बनाए रखें।
      सस्नेह।

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  5. मुग्ध करता सराहनीय सृजन।
    सादर

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    1. सस्नेह आभार आपका अनिता।
      सस्नेह है

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