Thursday, 24 December 2020

अंधों के शहर आईना


 अँधों के शहर आइना बेचने


फिर से आज एक कमाल करने आया हूँ

अँधों के शहर में आइना बेचने आया हूँ।


सँवर कर सूरत तो देखी कितनी मर्तबा शीशे में

आज बीमार सीरत का जलवा दिखाने आया हूँ।


जिन्हें ख़्याल तक नही आदमियत का।

उनकी अकबरी का परदा उठाने आया हूँ।


वो कलमा पढते रहे अत्फ़ ओ भल मानसी का।

उन के दिल की कालिख़ का हिसाब लेने आया हूँ।


करते रहे उपचार  किस्मत-ए-दयार का 

उन अलीमगरों का लिलार बाँचने आया हूँ।

         

                कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'


अकबरी=महानता  अत्फ़=दया

किस्मत ए दयार= लोगो का भाग्य

अलीमगरों = बुद्धिमान

लिलार =ललाट(भाग्य)

25 comments:

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।

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  2. लाजवाब अल्फ़ाज़

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।

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  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 25 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय मेरी रचना को शामिल करने के लिए।
      सादर

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  4. बहुत बहुत सुन्दर

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    1. आत्मीय आभार आपका।
      सादर।

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  5. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२६-१२-२०२०) को 'यादें' (चर्चा अंक- ३९२७) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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    1. बहुत बहुत आभार आपका मेरी रचना को चर्चा में स्थान देने के लिए ।
      सस्नेह।

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  6. सुन्दर अल्फाजों से लबरेज़ सुन्दर रचना..

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    1. बहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन के लिए।
      सस्नेह।

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  7. सुन्दर रचना

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    1. जी बहुत बहुत आभार आपका।
      सादर।

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  8. बहुत खूब ... सच के करीब सभी शेर ...
    उम्दा ...

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
      उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया।
      सादर।

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  9. बेहतरीन ! आने वाला समय आपके और आपके सपूर्ण परिवार के लिए मंगलमात हो

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    1. शुभकामनाओं का आत्मीय आभार ,आपको भी सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं।
      सादर आभार।

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    1. सादर आभार आपका आदरणीय।

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  11. जबरदस्त अल्फाज , बहुत खूब कही हकीकत का आईना, अंधों के शहर में, नमन खूबसूरत

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    1. बहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन करती सुंदर प्रतिक्रिया।
      सस्नेह।

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  12. यहाँ हुस्न खुद बेताब है जलवे दिखाने के लिए फिर क्या कहना ....

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