Monday, 28 December 2020

पिया की पाती


 पिया की पाती


दुल्हन सा विन्यास विभूषण

नंदन वन सी धरा नवेली।


कैसे  कहूँ बात अंतस की 

थिक थिरकन हृदय में उमड़ी।

घटा देख कर मोर नाचता 

हिय हिलोर सतरंगी घुमड़ी।

लगता कोई आने वाला

सखी कौन है बूझ पहेली।।


पद्म खिले पद्माकर महका

मधुकर मधु के मटके फोड़े।

सखी सुमन सौरभ मन भाई

पायल पल पल बंधन तोड़े।

कोयल कूकी ऊँची डाली 

बोल बोलती मधुर सहेली।।


अंग अंग अब नाच नाचता

आज पिया  की पाती आई

मन महका तो फूला मधुबन

मंजुल मोहक ऋतु मनभाई

उपवन उपजे भांत-भांत रस

चंद्रमल्लिका और चमेली।।


कुसुम कोठारी'प्रज्ञा'

11 comments:

  1. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।

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  2. अंग अंग अब नाच नाचता

    आज पिया की पाती आई

    मन महका तो फूला मधुबन

    मंजुल मोहक ऋतु मनभाई

    उपवन उपजे भांत-भांत रस

    चंद्रमल्लिका और चमेली।..काश कि ये पाती का दौर फिर आ जाय..बसंत ऋतु की अगवानी करता सुन्दर गीत..

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    1. उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई।
      काश..भी मुखरित हो।
      नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  3. नमन आपकी लेखनी को आदरणीय दीदी जी। बहुत ही सराहनीय रचना,मनमोहक,सुंदर 👌

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    1. आपको देख कर कविता भी हर्षित हुई बहना।
      बहुत बहुत सा स्नेह।
      सस्नेह आभार।

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  4. प्रेम पाती के आगमन से खिल जाता है सब कुछ ... प्रकृति नाचने लगती है ...
    सुन्दर भावपूर्ण रचना है ...

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया।
      नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  5. Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
      नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  6. जी बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

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