Sunday, 8 November 2020

आज नया एक गीत लिखूं


 आज नया एक गीत लिखूँ मैं । 


           वीणा का गर

           तार न झनके 

           मन  का कोई

           साज लिखूँ मैं।

आज नया एक गीत लिखूँ मैं।


            मीहिका से

        निकला है मन तो 

          सूरज की कुछ

          किरण लिखूँ मैं।

 आज नया एक गीत लिखूँ मैं।


              धूप सुहानी

            निकल गयी तो  

               मेहनत का

           संगीत  लिखूँ मैं।

   आज नया एक गीत लिखूँ मै।


             कुछ खग के

           कलरव लिख दूँ

           कुछ कलियों की

           चटकन लिख दूँ

   आज नया एक गीत लिखूँ मैं।


           क्षितिज मिलन की

                मृगतृष्णा है 

               धरा मिलन का

              राग लिखूँ मैं ।

  आज नया एक गीत लिखूँ मैं ।


                 चंद्रिका ने

              ढका विश्व को 

              शशि प्रभा की

            प्रीत  लिखूँ मैं ।

    आज नया एक गीत लिखूँ मैं।


            कसुम कोठारी "प्रज्ञा"

10 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 09
    नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. सादर नमस्कार ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (१०-११-२०२०) को "आज नया एक गीत लिखूं"(चर्चा अंक- 3881) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    कामिनी सिन्हा

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  4. बेहतरीन बहुत ही सुंदर

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  5. बहुत प्रशंसनीय सुन्दर रचना |

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  6. वाह !बहुत ही सुंदर दी।
    निर्मल सी खूबसूरत अभिव्यक्ति।
    सादर

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  7. बेहद खूबसूरत 👌👌

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