Tuesday, 19 May 2020

प्राबल्य अगोचर

प्राबल्य अगोचर

सृष्टि निर्माण रहस्य भारी
अद्भुत दर्शन से संवाहित
रिक्त आधार अंतरिक्ष का
प्राबल्य अगोचर से वाहित।

सत्य शाश्वत शिव की सँरचना
आलोकिक सी है गतिविधियां।
छुपी हुई है हर इक कण में
अबूझ अनुपम अदीठ निधियां।
ॐ निनाद में शून्य सनातन
है ब्रह्माण्ड समस्त समाहित।।

जड़ ,प्राण, मन, विज्ञान,अविचल
उत्पति संहारक जड़ जंगम।
अंतर्यामी कल्याणकार
प्रिय विष्णु महादेव संगम।
अन्न जल फल वायु के दाता
रज रज उर्जा करे  प्रवाहित।।

आदिस्त्रोत काल महाकाल 
सर्व दृष्टा स्वरूपानंदा।
रूद्र रूप तज सौम्य धरे तब
काटे भव बंधन का फंदा।
ऋचाएं तव गाए दिशाएं
वंदन करें देव मनु माहित ।।

कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

11 comments:

  1. वाह! बहुत सुंदर वर्णन उस परमात्म तत्व का जो इस प्रकृति के कण-कण में विद्यमान है।

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    1. आपकी सार्थक टिप्पणी से लेखन सार्थक हुआ ,और लेखनी को नये प्रतिमान मिले।
      सादर आभार।

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  2. परमात्मा का बहुत सुंदर वर्णन।

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    1. बहुत बहुत आभार ज्योति बहन आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह वर्धन हुआ।
      सस्नेह।

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  3. बहुत सुन्दर और भावप्रवण गीत

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    1. सादर आभार आदरणीय।
      आपकी टिप्पणी से रचना सार्थक हुई।

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  4. अप्रतिम रचना ईश्वर जो अनन्त है उसका अद्भुत वर्णन👌👌

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    1. दी आपका आशीर्वाद मिला, उत्साहवर्धन हुआ।
      बहुत बहुत आभार।

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  5. सत्य शाश्वत शिव की सँरचना
    आलोकिक सी है गतिविधियां।

    ॐ निनाद में शून्य सनातन
    है ब्रह्माण्ड समस्त समाहित।।

    आपकी रचना पढ़ना अपने आप में इक सुखद अनुभूति। ... बचपन में मंत्र उच्चारण सुनते समय जैसे इक अनोखी अनुभूति होती थी वैसी

    हमेशा की तरह मज़बूत भाषा शैली , भावप्रवण गीत , सुंदर वर्णन

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  6. बहुत बहुत आभार ज़ोया जी! आपको और आपकी टिप्पणी को देख मन सदा उल्लास से भर जाता है!
    सदा स्नेह बनाए रखें।

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  7. सत्य शाश्वत शिव की सँरचना
    आलोकिक सी है गतिविधियां।
    छुपी हुई है हर इक कण में
    अबूझ अनुपम अदीठ निधियां।
    ॐ निनाद में शून्य सनातन
    है ब्रह्माण्ड समस्त समाहित।। बेहतरीन नवगीत सखी

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