Thursday, 30 April 2020

न शोहरत में ख़लल डालो

न शोहरत में ख़लल डालो

सोने दो चैन से मुझे न ख्वाबों में ख़लल डालो।
न जगाओ मुझे यूं न वादों में  ख़लल डालो ।

जानने वाले जानते हो कितना अर्ज़मन्द उसको ।
पर्दा-ए-राज़ रहने दो यूं न शोहरत में ख़लल डालो।।

शाख से टूट पत्ते दूर चले उड के अंजान दिशा‌ ।
ऐ हवाओं ना रुक के यूं मौज़ौ में ख़लल डालो।

रात भर रोई नर्गिस सिसक कर बेनूरी पर अपने।
निकल के ए आफताब ना अश्कों में ख़लल डालो।

डूबती कश्तियां कैसे साहिल पे आ ठहरी धीरे से ।
भूल भी जाओ ये सब ना तूफ़ानों मे ख़लल डालो।

रुह से करता रहा सजदा पशेमान सा था मन।
रहमो करम कैसा,अब न इबादत में ख़लल डालो।

                 कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

14 comments:

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
      सादर।

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  2. बहुत गजब जी , क्या कहने आपका तो अंदाज़ ही अलहदा है। ये खलल डलता रहे और ये सिलसिला चलता रहे यूँ ही

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    1. बहुत बहुत आभार आपका हौसला अफजाई के लिए।

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(०२-०५-२०२०) को "मजदूर दिवस"(चर्चा अंक-३६६८) पर भी होगी
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    **
    अनीता सैनी

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    1. बहुत बहुत आभार आपका।
      मैं चर्चा पर जरूर उपस्थित रहूंगी।
      सस्नेह।

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  4. बेहतरीन ग़ज़ल सखी

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    1. बहुत बहुत आभार सखी।

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  5. सुन्दर और सार्थक लिखते हैं मित्र। प्रणाम

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  6. रुह से करता रहा सजदा पशेमान सा था मन।
    रहमो करम कैसा,अब न इबादत में ख़लल डालो।
    लाजवाब गजल...
    एक से बढ़कर एक शेर
    वाह!!!

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    1. सुधा जी आपकी मनभावन प्रतिक्रिया से रचना सार्थक हुई।
      सस्नेह आभार।

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  7. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 04 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत आभार आपका पांच लिंक में रचना को शामिल करने केलिए हृदय तल से आभार।
      मैं उपस्थित रहूंगी।
      सादर।

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  8. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय उत्साहवर्धन हुआ ‌

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