Monday, 30 December 2019

कुसुम की कुण्डलियाँ -३

कुसुम की कुण्डलियाँ-३

9 आँचल
फहराता आँचल उड़े, मधु रस खेलो फाग
होली आई साजना,  आज सजाओ राग ,
आज सजाओ राग , कि नाचें सांझ सवेरा ,
बाजे चंग मृदंग ,खुशी मन झूमे मेरा ,
रास रचाए श्याम, गली घूमे लहराता
झुकी लाज सेआंख , पवन आँचल फहराता।।

10 कजरा
काला कजरा डाल के , बिंदी लगी ललाट
रक्तिम कुमकुम से सजे , बालों के दो पाट ,
बालों के दो पाट ,लगा होठों पर लाली
बेणी गजरे डाल ,चली नारी मतवाली ,
लाल लाल है गाल , नैन सुख देने वाला ,
अँजे सुबह औ शाम ,आंख में अंजन काला।

11 चूड़ी
चूड़ी पहनू कांच की , हरी लाल सतरंग ,
फागुन आया ओ सखी,ढ़ेर बजे है चंग,
ढ़ेर बजे है चंग , नशा सा देखो छाया,
फाल्गुन का ये मास ,नया पराग ले आया
साजन  आना आज ,  खिलाउं हलवा पूड़ी
छनकी पायल पैर , हाथ में छनके चूड़ी।।

12 झुमका
डाली पत्र विहीन है , पलास शोभा रुक्ष ,
लगे सुगढ़ स्वर्ण झुमका , विपिन सजे ये वृक्ष  ,
विपिन सजे ये वृक्ष , बिछे धरणी पर  ऐसे ,
गूँथें तारे चाँद , परी के आँचल जैसे ,
मोहक सुंदर रूप , सजी बगिया बिन माली,
बिछे धरा पर पूंज , सुनहरी चादर डाली।

कुसुम कोठारी

8 comments:

  1. अति सुंदर

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    1. जी सादर आभार आपका आदरणीय।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।

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  3. बेहतरीन कुंडलियां

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    1. बहुत बहुत आभार आपका लोकेश जी।

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (03-01-2020) को "शब्द ऊर्जा हैं " (35 69 ) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का

    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर

    आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है

    "मीना भारद्वाज"

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  5. बहुत सा आभार मीना जी ,
    चर्चा मंच पर मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
    चर्चा मंच पर मैं जरूर उपस्थित रहूंगी।

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