Thursday, 18 July 2019

एक ग़ज़ल बना दूं

एक ग़ज़ल बना दूं

एक ग़ज़ल खूबसूरत बना दूं तो कोई बात हो
फूल आसमानों में खिला दूं तो कोई बात हो।

हवाओं में बहका - बहका सा अंदाज है
एक गीत गुनगुना दो तो कोई बात हो।

माना कमसिन हो मासूम हो खूबसूरत हो
सितारे आंचल में सजादूं तो कोई बात हो।

झरने की रवानी है आपकी पायल में
मेरे आंगन में उतर आए तो कोई बात हो।

                    कुसुम कोठारी ।

10 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (20 -07-2019) को "गोरी का शृंगार" (चर्चा अंक- 3402) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है

    ….
    अनीता सैनी

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    1. बहुत बहुत आभार आपका चर्चा मंच पर मेरी रचना को सम्मान देने के लिए।

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  2. वाह! बहुत खूब।।
    तुम्हारी गली की वो ग़ज़ल यूँ ही गूंजकर
    मन को गुदगुदा जाय तो कोई बात हो!

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    1. वाह क्या बात है बहुत सुंदर प्रति पंक्तियां ।
      बहुत सा आभार आपका इतनी लाजवाब सराहना के लिए।

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  3. वाह बहुत सुन्दर

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    1. बहुत सा आभार आदरणीय।

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  4. एक ग़ज़ल खूबसूरत बना दूं तो कोई बात हो
    फूल आसमानों में खिला दूं तो कोई बात हो।
    बहुत सुंदर रचना,कुसुम दी।

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  5. एक ग़ज़ल खूबसूरत बना दूं तो कोई बात हो
    फूल आसमानों में खिला दूं तो कोई बात हो।
    वाह !!! बहुत खूख !!👌👌👌👌

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  6. Waah sakhi .... Kamal ki ghazal 👌👌👌

    Tera har shabd mahakta hai tere jaisa hi
    Is me mai pyar mila dun to koi bat ho 🌸🌸

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  7. एक ग़ज़ल खूबसूरत बना दूं तो कोई बात हो
    फूल आसमानों में खिला दूं तो कोई बात हो।
    बेहद खूबसूरत ग़ज़ल सखी

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