Thursday, 16 May 2019

समय चक्र में उदय

समय चक्र में उदय सुबह हो शाम अस्त भी होता है
सारे जग को रोशन करने वाला भानु, सांझ ढले सोता है
नव आशा का उन्माद लिये फिर नई सुबह आ जाता है
अपनी रक्ताभित लालिमा से विश्व दुल्हन सजाता है
सहस्त्र किरणों की डोर लिये धरती को छूने आता है
फिर शाम के फैले आंचल में थक  के सो जाता है।

                  कुसुम कोठारी।

21 comments:

  1. बेहद सुंदर पंक्तियां सखी

    ReplyDelete
    Replies
    1. सस्नेह आभार सखी आपकी उपस्थिति सदा आनंद देती है।

      Delete
  2. सुन्दर पंक्तियां

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी सादर आभार आपका ।

      Delete
    2. ब्लॉग पर स्वागत है आपका

      Delete
  3. बेहतरीन प्रस्तुति

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर आभार दी ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति उत्साह बढाती है।
      सादर सस्नेह।

      Delete
  4. बहुत सुंदर सृजन कुसुम जी ,सादर नमस्कार

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत सा स्नेह आभार कामिनी जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह मिलता है और लिखने का उत्साह।
      सस्नेह।

      Delete
  5. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (18 -05-2019) को "पिता की छाया" (चर्चा अंक- 3339) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    ....
    अनीता सैनी

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका चर्चा अंक में आना हमेशा सुखद अनुभूति है मेरे लिये ।
      सस्नेह ।

      Delete
  6. बहुत सुन्दर सृजन कुसुम जी !

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार मीना जी आपकी प्रतिक्रिया से सदा मन को प्रसन्नता मिलती है ।
      सस्नेह ।

      Delete

  7. जय मां हाटेशवरी.......
    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    19/05/2019 को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में......
    सादर आमंत्रित है......

    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    https://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी सादर आभार आपका बहुत बहुत सा। मेरी रचना का चयन करने हेतू।
      सादर।

      Delete
  8. ढेर सा स्नेह बहना।

    ReplyDelete
  9. बहुत सुन्दर, सार्थक अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  10. समय चक्र ही सृष्टि का मूल है कुसुम बहन |

    ReplyDelete