Tuesday, 12 March 2019

तितली तेरे रंग


तितली तेरे रंग

चहुँ ओर नव किसलय शोभित
बयार बसंती मन भाये,
देख धरा का गात चम्पई
उर में राग, मोह जगाये,
ओ मतवारी चित्रपतंगः
तुम कितनी मन भावन हो,
कैसा सुंदर रूप तुम्हारा
कैसे मन  लुभावन हो,
वन माली करता जतन
रात दिन फूलों की रखवाली करता,
 पर तुम कितनी चतुर सुजान
आंखों के काजल के जैसे
चुरा ले जाती सौरभ सुमनों से,
चहुँ ओर विलसत पराग दल
पर ओ रमती ललिता  तुम,
थोड़ा-थोडा लेती  हो
नही मानव सम लोभी तुम,
संतोष धन से पूरित हो
तित्तरी रानी फूलों सी सुंदर तुम
फिर भी फूल तुम्हें भरमाते
प्रकृति बदल बदल कर
सजती  रूप हर मौसम,
पर तुम्हारा  सुंदर गात
इंद्रधनुष के रंग सात,
मधुर पराग रसपान कर
उडती रहती पात पात।।

   कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'

30 comments:

  1. बयार बसंती मन भाये
    देख धरा का गात चम्पई
    उर में राग, मोह जगाये
    बहुत ही सुन्दर मनभावनी रचना...
    वाह!!!

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    1. बहुत बहुत आभार सुधा जी आपकी त्वरित मनभावन टिप्पणी से रचना को सार्थकता मिली ।

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  2. बहुत सुंदर...........कुसुम जी

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    1. बहुत सा स्नेह आभार कामिनी जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली ।

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  3. आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की २३५० वीं बुलेटिन ... तो पढ़ना न भूलें ...

    तेरा, तेरह, अंधविश्वास और ब्लॉग-बुलेटिन " , में आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    1. मेरी रचना को ब्लॉग बुलेटिन में शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार शिवम जी ।

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  4. बहुत सुन्दर कुसुम जी ! आपकी कविता में तितली की उड़ान है, उसकी मुस्कान है, उसके रंग हैं और उसकी उमंग है.

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    1. सादर आभार आदरणीय आपकी प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया से हर्ष हुआ ।आपकी सार्थक टिप्पणी का सदा इंतजार रहता है।
      सादर।

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  5. वाह बहुत ही शानदार रचना सखी 👌👌

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    1. ढेर सा स्नेह आभार सखी सदा सहयोग के लिए साभार स्नेह।

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    2. देख धरा का गात चम्पई
      उर में राग, मोह जगाये
      ओ मतवारी चित्रपतंगः
      तुम कितनी मन भावन हो ....,अप्रतिम सृजनात्मक है कुसुम जी आपकी लेखनी में...., मन खिल उठा इतनी सुन्दर रचना पढ़ कर ।

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    3. बहुत सा स्नेह आभार मीना जी आपकी इतनी मोहक सराहना से सच बहुत आनंद हुवा सदा स्नेह बनाये रखें
      सस्नेह।

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  6. वाहह्हह...बेहद खूबसूरत सृजन दी..👌👌👌... शब्द..शब्द मधुमास है शब्द बसे अनुराग...रंग तुलिका यों झरे सखि गाये मन फाग..।

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    1. क्या बात श्वेता काव्यात्मक ऊर्जा लिये सुंदर शब्दावली रचना को गति देती हुई।
      ढेर सा आभार सस्नेह।

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  7. बहुत खूबसूरत रचना..भावानुसार शब्दों का बहुत सुंदर प्रयोग...

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    1. जी सादर आभार आदरणीय आपका प्रोत्साहित करने के लिए।
      सादर।

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  8. बहुत ही सुन्दर रचना सखी
    सादर

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    1. ढेर सा स्नेह आभार सखी।

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    1. जी सादर आभार लोकेश जी ।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका ।
      सादर।

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  11. मनमोहक ... वासंतिक भाव

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    1. बहुत सा आभार आपकी प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया का ।
      सस्नेह ।

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  12. बहुत सुंदर रचना, कुसुम दी।

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    1. बहुत बहुत आभार ज्योति बहन ।
      सस्नेह ।

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  13. Replies
    1. ढेर सा स्नेह आभार ज्योति जी ब्लॉग पर सदा इंतजार रहेगा आपका।
      सस्नेह ।

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  14. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(१७-०५-२०२०) को शब्द-सृजन- २१ 'किसलय' (चर्चा अंक-३७०४) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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