Wednesday, 16 January 2019

रस काव्य

रस काव्य

ढलती रही रात,
चंद्रिका के हाथों
धरा पर एक काव्य का
सृजन होता रहा
ऐसा अलंकृत रस काव्य
जिसे पढने
सुनहरी भास्कर
पर्वतों की उतंग
शिखा से उतर कर
वसुंधरा पर ढूंढता रहा
दिन भर भटकता रहा
कहां है वो ऋचाएं
जो शीतल चांदनी
उतरती रात में
रश्मियों की तूलिका से
रच गई
खोल कर अंतर
दृश्यमान करना होगा
अपने तेज से
कुछ झुकना होगा
उसी नीरव निशा के
आलोक में
शांत चित्त हो
अर्थ समझना होगा
सिर्फ़ सूरज बन
जलने से भी
क्या पाता इंसान
ढलना होगा,
रात  का अंधकार
एक नई रौशनी का
अविष्कार करती है
वो रस काव्य सुधा
शीतलता का वरदान है
सुधी वरण करना होगा।

        कुसुम कोठारी।
चंद्रिका =चांदनी  ऋचाएं = श्लोक
उतंग =ऊंची, विशाल  रश्मि =किरण   तूलिका = ब्रस, कलम

16 comments:


  1. ढलती रही रात,
    चंद्रिका के हाथों
    धरा पर एक काव्य का
    सृजन होता रहा....,
    इतना सुन्दर सृजन...., मन मुग्ध हो उठा पढ़ कर !!

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    1. प्रिय मीना जी आपकी प्रतिक्रिया इतनी सुखद है की बस रस काव्य सी, सस्नेह ढेर सारा आभार।

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 17/01/2019 की बुलेटिन, " प्रत्यक्ष गवाह - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    1. जी बहुत सा आभार व्यस्तता के चलते पोस्ट पर नही आ पाई ।
      तहेदिल से शुक्रिया।

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  3. सच है रात के अन्धकार के बाद ही सूरज का रौशनी का एहसास होता है ... आशा का सृजन होता है .... सुन्दर रचना जीवन के रंग समेटे ...

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    1. आपकी व्याख्यात्मक प्रतिक्रिया सदा मन को अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करती है।
      सादर आभार ।

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  4. ढलती रही रात,
    चंद्रिका के हाथों
    धरा पर एक काव्य का
    सृजन होता रहा....
    बेहतरीन सृजन...बेहतरीन लेखन....आदरणीया कुसुम जी।

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    1. स्वागत पुरुषोत्तम जी आपको ब्लॉग पर देख बहुत अच्छा लग रहा है आपकी सराहना पाकर रचना सार्थक हुई ।
      सादर आभार।

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  5. बहुत ही बेहतरीन रचना सखी

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    1. स्नेह सिक्त आभार सखी ।

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  6. ढलना होगा
    रात का अंधकार
    एक नई रौशनी का
    अविष्कार करती है
    वो रस काव्य सुधा
    शीतलता का वरदान है
    सुधी वरण करना होगा।...बेहतरीन सखी 👌

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    1. जी सखी आपकी प्रतिक्रिया से मैं अभिभूत हुई सस्नेह आभार।

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  7. ढलना होगा
    रात का अंधकार
    एक नई रौशनी का
    अविष्कार करती है
    वो रस काव्य सुधा
    शीतलता का वरदान है
    सुधी वरण करना होगा।!!!!!
    मन मुग्ध करती -मनभावन सुकोमल शब्दावली से सुसज्जित अत्यंत उल्लेखनीय और सराहनीय रचना जो जो सार्थक प्रेरक संदेश भी सहेजे है | कुसुम बहन -- इस रसकाव्य में भावों की रसधार अप्रितम है |सस्नेह शुभकामनायें और बधाई |

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    1. रेनू बहन आपकी प्रतिक्रिया से साधारण से साधारण रचना भी खास हो जाती है आपकी काव्यात्मक प्रति पंक्तियों में स्नेह का रस मिल कर सब कुछ सरस सुगंधित हो जाता है सच मन अभिभूत हो जाता है।
      सस्नेह ढेर ढेर सा स्नेह रेनू बहन ।

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  8. Replies
    1. दी सादर आभार आप के आने भर से रचना पुरस्कृत हुई।
      सादर।

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