Sunday, 8 April 2018

उड़ान का हौसला

रोने वाले सुन आंखों मे
आंसू ना लाया कर
बस चुपचाप रोया कर
नयन पानी देख अपने भी
कतरा कर निकल जाते हैं।

जिंदगी की आंधियां बार बार
बुझाती रहती है जलते चराग
पर जो दे चुके भरपूर रौशनी
उनका एहसान कभी न भूल
उस के लिए दीप बन जल।

जिस छत तले बसर की जिंदगी
तूफानों ने उजाड़ा उसी गुलशन को 
गुल ना कली ना कोई महका गूंचा
बिखरी पंखुरियों का मातम ना कर
फिर एक उड़ान का हौसला रख ।

सुख के वो बीते पल औ लम्हात
नफासत से बचाना यादों मे
खुशी की सौगातें बाधं रखना गांठ
नाजुक सा दिल बस साफ रहे
मासूमियत की हंसी होंठों पे सजी रहे।
                कुसुम कोठारी।

2 comments:

  1. बेहतरीन भावों से सजी रचना

    ReplyDelete
  2. जी बहुत सा आभार

    ReplyDelete