उषा ने सुरमई शैया से
अपने सिंदूरी पांव उतारे
पायल छनकी
बिखरे सुनहरी किरणों के घुंघरू
फैल गये अम्बर में
उस क्षोर से क्षितिज तक
मचल उठे धरा से मिलने
दौड़ चले आतुर हो
खेलते पत्तियों से
कुछ पल द्रुम दलों पर ठहरे
श्वेत ओस को
इंद्रधनुषी बाना पहना चले
नदियों की कल कल में
स्नान कर पानी मे रंग घोलते
लाजवन्ती को होले से
छूते प्यार से
अरविंद में नव जीवन का
संदेश देते
कलियों फूलों में
लुभावने रंग भरते
हल्की बरसती झरनों की
फुहारों पर इंद्रधनुष रचते
छन्न से धरा का
आलिंगन करते,
जन जीवन को
नई हलचल देते
सारे विश्व पर अपनी
आभा छिटकाते
सुनहरी किरणों के घुंघरू।
कुसुम कोठारी।
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार १६फरवरी २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
स्नेह आभार ।
ReplyDeleteबेहतरीन रचना। प्रकृति की मोहक छटा और भोर का अति कोमल वर्णन मन को गुदगुदा गया। बधाई आदरणीय कुसुम जी।
ReplyDeleteसादर आभार।
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteप्रकृति का कोमल चित्रण ओर जीवन
सादर
जी अभिभूत हूई सादर।
Deleteअप्रतिक काव्य, मोहक प्रकृति चित्रण. भोर का सुन्दर रेखांकन.
ReplyDeleteसादर
स्नेह आभार।
Deleteअप्रतिक काव्य, मोहक प्रकृति चित्रण. भोर का सुन्दर रेखांकन.
ReplyDeleteसादर
ढेर सा आभार स्नेही अपर्णा जी।
Deleteबहुत सुन्दर!!!
ReplyDeleteप्रातःकालीन आभा का सूक्ष्म व मनोरम वर्णन है । इस सुंदर
ReplyDeleteरचना के लिए आपको बधाई है कुसुम जी ।
भाव भीनी प्रतिक्रिया का स्नेह आभार।
Deleteसुंदर, काव्य रस से भरी मधुर रचना
ReplyDeleteजी काव्य मर्मज्ञों का स्नेह मिला रचना सार्थक हुई
Deleteसादर आभार।
प्राकृति के रंगों में किरणों की आभा लिए सुंदर शब्द ...
ReplyDeleteसुंदर सराहना, सादर आभार
Deleteआभार सखी।
ReplyDeleteअद्भुत प्रकृति की अद्भुत चितेरी हो आप ..आपके लेखन में प्रकृति जीवंत हो चपल हो उठती है मीता सुप्रभात ...
ReplyDeleteरचना को संबल देती आपकी इतनी प्यारी प्रतिक्रिया से मन आनंदित हुवा मीता, रचना के भाव आप सब तक पहुंचे और मेरा लेखन सार्थक हुवा ।
Deleteस्नेह आभार मीता ।
बहुत ही सुन्दर रचना 👌
ReplyDeleteप्यार भरा आभार सखी, उत्साह बढ़ जाता है स्नेही जन की सक्रियता से।
Deleteरचना का नाम ही कमाल है प्रिय कुसुम बहन | किरणों के घुंघरू कितनी सुखद , मधुर कल्पना है |रचना तो है ही अच्छी | सस्नेह --
ReplyDeleteओहो प्रिय रेनू बहन मैं अभिभूत हुई सच खनक उठे मन आकाश पर किरणों के घूंघरु,
Deleteआपकी सराहना सूर्य किरण सम उर्जा देती है।
आभार नही बस स्नेह और स्नेह ।