तिरंगे की शान में
सिर्फ अब न वादे होंगे
जीत की आशा फलेगी।
ठान ले हर देश वासी
रात तब गहरी ढलेगी।
लाखों की बलिवेदी पर
तिरंगे का इतिहास है।
खोये कितने ही सपूत
जाकर मिला ये हास है।
हर दिल में अब शान और
मान की होली जलेगी।
मर्म तक कोई न भेदे
अब भी समय है हाथ में।
हर दिशा में शत्रु फैले
कर सामना मिल साथ में।
आजादी की कीमत जब
हर एक जन में पलेगी।
दुष्कर करदो जीना अब
जो अमन को घायल करे।
जीना वो जीना जानों
हित देश के जीये मरे ।
ध्वज तिरंगा हाथ लेकर,
इक हवा फिर से चलेगी।।
कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं।
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएं 🌷
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 15 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजय हिन्द।
Deleteबहुत बहुत आभार आपका।
सादर।
राष्ट्रभक्ति की भावनाओं से परिपूर्ण सुन्दर गीत ।
ReplyDeleteबेहतरीन लगी ये पंक्तियाँ--
सिर्फ अब न वादे होंगे
जीत की आशा फलेगी।
ठान ले हर देश वासी
रात तब गहरी ढलेगी।
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ।
जय हिन्द ।
Deleteबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया से रचना को प्रवाह मिला।
सादर।
जीना वो जीना जानों
ReplyDeleteहित देश के जीये मरे ।
ध्वज तिरंगा हाथ लेकर,
इक हवा फिर से चलेगी।।
देशभक्ति भाव से सजा सुन्दर सृजन.. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं कुसुम जी !
बहुत बहुत आभार मीना जी आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से उत्साह वर्धन हुआ।
Deleteजय हिन्द जय भारत।
वन्देमातरम🌻
ReplyDeleteवन्देमातरम,जह हिन्द।
Deleteसाभार।
जय हिन्द ,
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका चर्चा मंच पर उपस्थित रहूंगी।
सादर
सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteतिरंगे की शान
ReplyDeleteदेश का मान
फिर चाहे देना पड़े बलिदान ...
सुन्दर, ओजस्वी शब्दो से बुनी रचना ... लाजवाब ...