Saturday 26 January 2019

अवसाद और प्रसन्नता

अवसाद, प्रसन्नता

कदम बढते गये
बन राह के सांझेदार
मंजिल का कोई
ठिकाना ना पड़ाव
उलझती सुलझती रही
मन लताऐं  बहकी सी
लिपटी रही सोचों के
विराट वृक्षों से संगिनी सी
आशा निराशा में
उगता ड़ूबता भावों का सूरज
हताशा और उल्लास के
हिन्डोले में झूलता मन
अवसाद और प्रसन्नता में
अकुलाता भटकता
कभी पूनम का चाॅद
कभी गहरी काली रात
कुछ सौगातें
कुछ हाथों से फिसलता आज
नर्गिस सा बेनूरी पे रोता
खुशबू पे इतराता जीवन।

        कुसुम कोठारी।

34 comments:

  1. सुंदर रचना आदरणीय कुसुम जी।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका पुरुषोत्तम जी मेरी रचना को प्रोत्साहित करने के लिए।
      सादर

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  2. ब्लॉग बुलेटिन टीम की और मेरी ओर से आप सब को ७० वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं|


    ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 26/01/2019 की बुलेटिन, " ७० वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं“ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    1. ब्लॉग बुलेटिन का बहुत बहुत आभार मेरी रचना को चयन करने हेतु।
      सादर।

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  3. बहुत सुन्दर सृजन सखी
    सादर

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  4. बेहतरीन रचना सखी

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    1. बहुत सा आभार सखी।
      सस्नेह ।

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  5. अवसाद और प्रसन्नता में
    अकुलाता भटकता
    कभी पूनम का चाॅद
    कभी गहरी काली रात
    कुछ सौगातें
    कुछ हाथों से फिसलता आज

    बहुत सुंदर भाव कुसुम दी

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    1. बहुत सा आभार शशि भाई आपकी सराहना से लेखन को गति मिलती है।
      सस्नेह

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    २८ जनवरी २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. बहुत सा आभार मै अवश्य उपस्थित रहूंगी।
      सस्नेह।

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    1. उत्साह वर्धन के लिये सादर आभार ।

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  8. बहुत सुन्दर कुसुम जी.
    सुख की सुनहरी धूप हो या दुख की काली रात, ये दोनों ही तो मिलकर जीवन को अर्थ देते हैं और जो लोक-कल्याण हेतु इन दोनों से ऊपर उठ जाता है वह महा-मानव बन जाता है.

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    1. सर आपकी सारगर्भित व्याख्या से रचना को सदा नये आयाम मिलते हैं। आपका विश्लेषण सटीक और रचना को समानांतर गति देता सा।
      उत्साह वर्धन के लिये बहुत सा आभार ।
      सादर

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  9. बहुत सुंदर रचना, कुसुम दी।

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    1. बहुत सा स्नेह ज्योति बहन ।

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  10. अद्बुत शब्दो का संगम मीता ....🙏🙏

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    1. ढेर सा स्नेह आभार मीता आपकी उपस्थिति सदा मन भावन लगती है ।
      सस्नेह ।

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  11. मनुष्य जीवन की भावनाओ को बेहतरीन ढंग से प्रस्तुत किया है आपने कुसुम जी

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    1. रचना की गहराई तक उतर सुंदर व्याख्यात्मक पंक्तियाँ रीतू जी।
      बहुत बहुत आभार आपका।

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  12. बहुत सुंदर.... सादर स्नेह

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    1. बहुत बहुत आभार कामिनी जी आपकी प्रतिक्रिया से मन खुश हुवा ।
      सस्नेह ।

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  13. उलझती सुलझती रही
    मन लताऐं बहकी सी
    लिपटी रही सोचों के
    विराट वृक्षों से संगिनी सी
    वाह बेहतरीन रचना सखी 👌👌

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    1. बहुत सा आभार सखी उत्साह वर्धन के लिये ।
      सस्नेह ।

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  14. वाह!!बहुत सुंदर!!

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    1. सस्नेह आभार शुभा जी स्नेह बनाये रखें ।

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    2. सस्नेह आभार शुभा जी स्नेह बनाये रखें ।

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  15. विचारपूर्ण सुंदर सृजन..

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    1. बहुत खुशी होती है आपकी प्रतिक्रिया पाकर प्रिय पम्मी जी।
      सस्नेह ।

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  16. बहुत खूब.........बेहतरीन सृजन

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    1. हृदय तल से आभार रविंद्र जी ।

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  17. जीवन तो सुख दुःख ख़ुशी अवसाद के बीच झूलता हुआ पेंडुलम है ... कभी इधर तो कभी उधर .... इसको संतुलन करना ही जीवन है ...
    गहरी रचना ...

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    1. वाह आपकी सुंदर व्याख्या से रचना को मनत्व्य मिला नासवा जी आपका हृदय तल से आभार।

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